बेबसी: जिंदा में डॉक्टर नहीं मिला तो मरने के बाद एंबुलेंस नहीं, बाइक में रस्सी से बांधकर ले गए शव

Published : May 12, 2021, 05:45 PM IST
बेबसी: जिंदा में डॉक्टर नहीं मिला तो मरने के बाद एंबुलेंस नहीं, बाइक में रस्सी से बांधकर ले गए शव

सार

मृतक के परिजन अस्पताल परिसर में बिलखते रहे। साथ ही वह डॉक्टर और स्टाफ के अन्य कर्मचारियों से बेटे का शव गांव ले जाने के लिए ऐंबुलेंस की मांग करते रहे, लेकिन उन्हें  एंबुलेंस की सुविधा मिली और ना ही कोई अन्य साधन मिला। जिसके बाद दुखी होकर परिजनों ने शव को मोटरसाइकिल से बांधकर घर की तरफ निकल पड़े।

उमरिया (मध्य प्रदेश). कोरोना वायरस ने पूरे देश में हाहाकार मचाकर रखा है। जहां मरीजों को जिंदा रहते हुए समय पर एंबुलेंस मिल पा रही है। ना ही मरने के बाद शव ले जाने के लिए कोई वाहन मिल रहा है। इसी बीच मध्य प्रदेश के उमरिया जिले से एक मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां एक युवक की मौत के बाद परिजन उसके शव को रस्सी से बांधकर बाइक से लेकर जाना पड़ा।

ना डॉक्टर मिला और ना ही एंबुलेंस मिली
दरअसल, उमरिया जिले से करीब 45 किलोमीटर दूर पतौर गांव में रहने वाले एक 35 साल के आदिवासी युवक सहजन कोल का अचानक पेट दर्द हुआ था। जिसके बाद परिजनों ने उसे मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। लेकिन समय पर उसे इलाज नहीं मिल सका। आलम यह हुआ कि युवक ने  अस्पताल परिसर में ही तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।

शव ले जाने के लिए बिलकते रहे परिजन
मृतक के परिजन अस्पताल परिसर में बिलखते रहे। साथ ही वह डॉक्टर और स्टाफ के अन्य कर्मचारियों से बेटे का शव गांव ले जाने के लिए ऐंबुलेंस की मांग करते रहे, लेकिन उन्हें  एंबुलेंस की सुविधा मिली और ना ही कोई अन्य साधन मिला। जिसके बाद दुखी होकर परिजनों ने शव को मोटरसाइकिल से बांधकर घर की तरफ निकल पड़े।

आए दिन देखने को मिलता है ऐसा नजारा
बता दें कि मृतक जिस गांव का रहने वाला है वह गांव  बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर रेंज में आता है। उनके गांव से करीब 25 से 30 किलोमीटर की दूर पर  मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। गांव जंगल में है और यहां से बाइक से जाने में करीब एक घंटा का वक्त लगता है। कई लोगों की तो गंभीर हालत में रास्ते में ही मौत हो जाती है। स्वास्थ्य केंद्र में शव वाहन न होने के कारण आये दिन ऐसा नजारा देखने को मिलता है।
 

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