अनोखी परंपरा : बहू की विदाई के वक्त ससुर पहनते हैं साड़ी, महिलाओं की तरह करते हैं श्रृंगार, लगाते हैं ठुमके

राजगढ़ के सारंगपुर में पाल समाज के मोहनपाल सिंह के बेटे की शादी थी। बारात झांसी के टहरौली गांव में गई थी। शादी में बारातियों के बीच समधनों ने समधियों को महिलाओं की तरह सजाया, उनका श्रृंगार किया और उन्हें साड़ी पहनाकर उनसे डांस करवाया। इस दौरान महिलाएं गालियां देती रही और समधी ठुमके लगाते रहे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 22, 2022 4:15 AM IST / Updated: Feb 25 2022, 07:36 PM IST

राजगढ़ : हमारे देश में शादियां उत्सव की तरह मनाई जाती हैं। इस दौरान अलग-अलग जगह अलग-अलग परंपराएं भी निभाई जाती हैं। कहीं समधन और समधी के बीच हंसी-ठिठोली तो कहीं साली और सरहज के बीच मजाक। आपने भी न जाने कितनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को देखा होगा और उनके बारे में सुना भी होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे पढ़ आप भी अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे। वैसे तो यह परंपरा उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झांसी (Jhansi) में मनाया जाता है लेकिन यह चर्चा में एकाएक तब आ गया जब मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ (Rajgarh) से गई एक बारात में इसे मनाया गया। 

महिलाओं की तरह सजे-संवरे समधी 
दरअसल, राजगढ़ के सारंगपुर में पाल समाज के मोहनपाल सिंह के बेटे की शादी थी। बारात झांसी के टहरौली गांव में गई थी। शादी में बारातियों के बीच समधनों ने समधियों को महिलाओं की तरह सजाया, उनका श्रृंगार किया और उन्हें साड़ी पहनाकर उनसे डांस करवाया। इस दौरान महिलाएं गालियां देती रही और समधी ठुमके लगाते रहे।

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बारातियों ने बनाया वीडियो
जब यह अनोखी परंपरा निभाई जा रही थी, तब सभी बाराती ठहाके लगा रहे थे। उनमें से कुछ ने समधियों के डांस का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर भी शेयर कर दिया। जब बारात वापस गांव पहुंची तो हर तरफ की चर्चा होने लगी। 

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परंपरा के पीछे की कहानी
इस परंपरा को लेकर कहा जाता है कि ब्रज में जब गोपियों के साथ भगवान कृष्ण ने रास रचाया, लीला की। उसी की तरह यह परंपरा मनाई जाती है। इसमें लड़की की विदाई के समय सभी समधियों को महिलाओं की तहर कपड़े पहनाकर उनको सजाया जाता है। सजाते वक्त महिलाएं गाली गीत गाती हैं। इससे माहौल हंसी-मजाक का बना रहता है और खुशी-खुशी लड़की की विदाई की जाती है। इतना ही नहीं इससे दो परिवारों और गांव के बीच परस्पर मजबूत संबंध भी बनता है।

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