नारायण सेवा संस्थान ने अब तक 2109 जोड़ों का विवाह कराया है। इस बार संस्था ने 35वें सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया था। जिसमें राजस्थान के ऐसे ही शंभुलाल और जीना कुमारी की शादी कराई थी। बता दें कि शंभूलाल को सुनने और बोलने की क्षमता हासिल नहीं थी। वहीं, जीना कुमारी ऑटिस्टिक है। लेकिन, आज वे शादी करके एक खुशहाल जीवन जीने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।
मध्य प्रदेश। नारायण सेवा संस्थान असहायों और जरूरतमंदों के लिए मददगार साबित हो रहा है। उदयपुर में अपने परिसर में प्रशिक्षण और कौशल केंद्र के साथ दिव्यांगों को जीने की एक नई राह दिखाई है। संस्थान ने लोगों को सफलतापूर्वक सशक्त बनाया है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है। ऐसे में इस संस्थान द्वारा हाल ही में किए गए नेक कार्यों के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो लोगों को प्रेरित करती है। बताते चले कि 18 वर्षों यह संस्थान ऐसे ही कार्य कर रहा है।
नारायण संस्थान ने इनके जीवन में लाई खुशहाली
नारायण सेवा संस्थान ने अब तक 2109 जोड़ों का विवाह कराया है। इस बार संस्था ने 35वें सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया था। जिसमें राजस्थान के ऐसे ही शंभुलाल और जीना कुमारी की शादी कराई थी। बता दें कि शंभूलाल को सुनने और बोलने की क्षमता हासिल नहीं थी। वहीं, जीना कुमारी ऑटिस्टिक है। लेकिन, आज वे शादी करके एक खुशहाल जीवन जीने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।
बीटेक की छात्रा की जमा कराई फीस
नारायण सेवा संस्थान ने दीक्षिता जो बीटेक सेकंड ईयर में है की फीस जमा किया है, ताकि उनकी शिक्षा जारी रख सके। बता दें कि दीक्षिता के पिता ट्रैवल एजेंसी में कार्यरत थे और इसी से अपने परिवार का गुजारा चलाते थे। लेकिन, लॉकडाउन के बाद वो बेरोजगार हो गए। उनके परिवार और बेटी का भविष्य भी मुश्किल में आ गया। इतना ही नहीं उनकी शिक्षा का खर्च तक वहन करना मुश्किल हो गया। सभी रिश्तेदारों और परिचितों से मदद की अपील की लेकिन सभी जगह से निराश होने के बाद संस्थान में आए, जिनकी आपबीती सुनकर संस्थान ने दीक्षिता की फीस जमा कराई।
1.80 लाख की मदद देकर बचाई बच्ची की जान
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर निवासी कल्पना ने एक हॉस्पिटल में साढ़े 6 माह की अपरिपक्व दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। जिनमें से एक बच्चे की कुछ घंटों बाद मृत्यु हो गई, जबकि दूसरे बच्ची और माता के जान संकट में पड़ गए। प्रसव के लिए साथ आए कल्पना के गरीब मजदूर पति विनय के पैरों तले जमीन खिसक गई। जीवंता हॉस्पिटल में नैनोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुरेश जांगिड़ की देखरेख में इलाज चला। इलाज खर्चीला, जो मजदूर पिता नहीं दे पा रहा था। ऐसे में उसे किसी ने नारायण सेवा संस्थान से आर्थिक मदद के लिए संपर्क करने को कहा। जहां संस्थान ने हॉस्पिटल को 1.80 लाख रुपये का भुगतान कर समय पूर्व जन्मी बालिका को "दुर्गा" नाम देकर उसके सौभाग्य की कामना की।
संस्था के अध्यक्ष ने कही ये बातें
नारायण सेवा संस्थान के उदयपुर में कौशल प्रशिक्षण केंद्र ने हमें अपनी आजीविका अर्जित करने के लिए प्रशिक्षित किया है। संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि हमेशा से ही हमारा एजेंडा दिव्यांगों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य उपचार, कौशल विकास पाठ्यक्रम, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से प्रतिभाओं को सशक्त बनाने और उन्हें सम्मानजनक और स्थायी आजीविका का नेतृत्व करने में मदद करने के लिए सशक्त बनाना है।