आज 2 दिसंबर है। यानि राष्ट्रीय प्रदूषण दिवस (National Pollution Control Day 2021)। ये दिवस पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन, इसे मनाने की एक खास वजह है। इस आधुनिक युग में भी ये विडंबना ही है कि देश में पॉल्यूशन का लेवल लगातार बढ़ ही रहा है। ऐसे में गंभीरता से हम सभी को मिलकर इसको रोकने के प्रयास करने होंगे।
नई दिल्ली। हमारा देश 2 दिसंबर को 'राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस' (National Pollution Control Day 2021) के रूप में मनाता है। वैसे तो प्रदूषण आज पूरी धरती के लिए अभिश्राप बन चुका है। विकसित, विकासशील और अविकसित सभी तरह के देश प्रदूषण के फेर में फंसे हैं। भारत (India), अमेरिका (America), चीन (China) समेत कई देशों के बड़े-बड़े शहरों में हवा की गुणवत्ता (Air Pollution) बेहद खराब हो चुकी है। परिस्थिति ऐसी है कि अब लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) समेत बड़े महानगरों में ये समस्या जटिल होती जा रही है। फिलहाल, ब्यूरोक्रेसी से लेकर विद्वान तक इसका तोड़ नहीं निकाल पा रहे हैं और देश इसके जंजाल उतनी ही तेजी से जकड़ता जा रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ये दिवस क्यों मनाया जाता है और कब से इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई है... चलिए हम आपको बताते हैं इस दिवस में बारे में....
दरअसल, 2-3 दिसंबर 1984 की रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बड़ी घटना हुई थी, जिसे भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal gas tragedy) के नाम से जानते हैं। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी (Union Carbide Company) से एलआईसी (LIC) या मिक गैस (Mick Gas) का रिसाव हुआ था। इस ट्रेजडी में अपनी जान गंवाने वाले लोगों की याद में हर साल 2 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। रिपोटर्स के मुताबिक, उस गैस त्रासदी में जहरीली गैस के रिसाव (Toxic Gas Leak) के कारण हजारों लोगों की मौत हो गई थी। इतने सालों बाद ये घटना आज भी पूरी दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदा के रूप में जानी जाती है। उस गैस त्रासदी के दौरान जान गंवाने वाले लोगों की याद करने और प्रदूषण नियंत्रण कृत्यों के महत्व से हर व्यक्ति को अवगत कराने के लिए 2 दिसंबर का दिन राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है।
मानव समाज के लिए खतरा बना वायु प्रदूषण
कहा जाता है कि 'प्रदूषण' प्रकृति देन नहीं, बल्कि मानव की करनी का फल है। मानवीय क्रियाकलापों के चलते आज पूरी धरती का संतुलन बिगड़ गया है। विश्व के कारखानों के धुएं से ना सिर्फ विश्व का पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। वाहनों और मोटरों के धुएं, पटाखों के फोड़े जाने समेत अनगिनत कारणों से वायु में गैसों का रिसाव हो रहा है। ये जहरीली गैसें जितना प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही हैं उससे कहीं ज्यादा मानव समुदाय को खतरा हो गया है। इसका सबसे घातक असर ओजोन की मोटी चादर (कवच) पर पड़ रहा है।
ओजाेन की चादर पतली पड़ जाए तो मुश्किल में आ सकता जीवन
ओजोन की मोटी पट्टी सूर्य की परा-बैंगनी किरणों से धरती के जीवन की सुरक्षा करती है। यदि ओजोन की चादर ना हो या पतली पड़ जाए तो धरती का समूचा जीवन संकट में पड़ सकता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि उत्तरी और दक्षिणी ध्लुवों के आकाश में स्थित ओजोन की मोटी चादर में छिद्र हो गए हैं। विश्व के वायुमण्डल और पर्यावरण में जिस तेज गति से कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है, वह समूची मानव जाति के लिए खतरे की घंटी है, इसकी रोकथाम बेहद जरूरी है।
प्रदूषण का स्वास्थ्य पर ये असर
प्रदूषण आज पूरी दनिया के लिए नासूर बन गया है, जिसकी वजह से बढ़ती बीमारियों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ कई गुना बढ़ता जा रहा है। हवा में मौजूद प्रदूषण के कण ना सिर्फ दिल, दिमाग और फेफड़ों पर गंभीर असर डालते हैं बल्कि कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का भी कारण बन रहे हैं। विशेषज्ञों का मत है कि प्रदूषण से उम्र पर पड़ने वाला प्रभाव धूम्रपान और टीबी जैसी बीमारियों से भी ज्यादा है। अगर प्रदूषण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों का सख्ती से पालन किया जाए तो लोगों की उम्र में कई साल की बढ़ोतरी हो सकती है।
इस दिवस को मनाने का ये उद्देश्य
हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। बता दें कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूक बनाना है। इसका मकसद पानी, हवा, मिट्टी के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण को भी फैलने से रोकना है। इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है ताकि प्रदूषण को फैलने से रोका जा सके और आम जीवन पर किसी तरह का कोई संकट ना आ सके। देश के कई हिस्सों में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर जो विकराल स्थिति बरकरार है, ऐसे में इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
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