भारत का एक ऐसा मंदिर जो ग्रहण की सूतक में भी रहता है खुला, नहीं होता यहां कोई असर...जानिए इसका रहस्य

25 अक्टूबर 2022 को भारत में आए साल के अंतिम सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022) सूर्यास्त के साथ ही समाप्त हो गया। ग्रहण के दौरान देश भर के सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे। लेकिन उज्जैन में महाकालेश्वर भगवान का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां गृहण का कोई असर नहीं पड़ता है। यहां बाबा महाकाल के कपाट खुले रहे।

Arvind Raghuwanshi | Published : Oct 25, 2022 2:20 PM IST / Updated: Oct 25 2022, 07:54 PM IST

उज्जैन (मध्य प्रदेश). देश प्रदेश में सूर्य ग्रहण या किसी भी गृहण के दौरान अधिकतर मंदिरों के पट बंद रहते हैं । इस दौरान मंदिरों में और मंदिर के गर्भगृह में भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाता। आपने सुना भी होगा कि सूतक के वक्त ना तो  घर और ना ही मंदिर में पूजा की जाती है। लेकिन देश में उज्जैन का एक महाकालेश्वर मंदिर ऐसा है जहां पर ग्रहण के समय भी मंदिर खुला रहता है। यहां गृहण का किसी तरह से कोई असर नहीं रहता है। जब 25 अक्टूबर को सूर्य गृहण पड़ा तो मंदिर खुला और पहले की तरह आज भी भक्त दर्शन करते रहे।

गृहण के दौरान भक्तों को भी नहीं होती रोक-टोक
दरअसल, मंदिर के पुजारियों का कहना है कि बाबा महाकाल के दरबार में सूर्य गृहण का कोई असर नहीं रहता है। क्योंकि महाकाल कालों के काल हैं, तो यहां कुछ नहीं होने वाला है। इसलिए यहां के कपाट कभी बंद नहीं होते हैं। इतना ही नहीं बाबा महाकाल के दर्शन करने वाले भक्तों को किसी प्रकार की को रोक-टोक नहीं होती है।

सूर्य गृहण के दौरान शिवलिंग का नहीं करते स्पर्श
वहीं मंदिर समिती का कहना है कि सूर्य ग्रहण में महाकालेश्वर मंदिर में बंद नहीं होते हैं। लेकिन पूजा पाठ के समय में थोड़ा अंतर जरूर रहता है। रोजाना की तरह होने वाली बाबा महाकाल की आरती के समय में थोड़ा बदलाव रहता है। इस दौरान गर्भ ग्रह में श्रद्धालुओं का प्रवेश नहीं होता है।  वहीं मंदिर के पुजरियों और पुरोहितों मंदिर के गर्भगृह में भी आ जा सकते हैं। महाकालेश्वर मंदिर के पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि सूर्य ग्रहण के बाद मंदिर परिसर साफ-सफाई और धोने की परंपरा है। इस दौरान मंदिर के गर्भगृह में पंडित भगवान महाकाल से लोगों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं। हालांकि यह पंडित इस दौरान शिवलिंग का स्पर्श नहीं करते हैं।

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