मप्र उपचुनाव: 28 सीटों पर ऊंट किस करवट बैठेगा..बस कुछ घंटों का और इंतजार, कमलनाथ बने रहेंगे स्टार प्रचारक

मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव में 3 नवंबर को वोटिंग होगी। इसमें ऊंट किस करवट बैठेगा.. इसे लेकर संशय बना हुआ है। बेशक भाजपा अपनी सरकार बचाने में सफल हो सकती है, लेकिन यह चुनाव यह साबित कर देगा कि जनता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए विधायकों के फैसले से खुश है या नाराज। रिजल्ट 10 नवंबर को आएगा। इसी बीच कमलनाथ से छीना गया स्टार प्रचारक का दर्जा बना रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगा दी है।
 

भोपाल, मध्य प्रदेश. मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों की किस्मत का फैसला मंगलवार यानी 3 नवंबर को ईवीएम मशीनों में कैद हो जाएगा। इसमें ऊंट किस करवट बैठेगा.. इसे लेकर संशय बना हुआ है। उपचुनाव में पीछे होते हुए भी कांग्रेस ने प्रचार-प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा को इस बात की चिंता है कि भले वो सरकार बचाने में सफल रहे, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप सीटें नहीं जीतीं, तो इससे साबित हो जाएगा कि दलबदलुओं से जनता खुश नहीं है। ताजा समीकरणों के अनुसार भाजपा को 13 सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत दिख रही है। वहीं, कांग्रेस को 10 पर।  5 ऐसी सीटें हैं, जिन पर दोनों की टक्कर बनी हुई है। इस बीच सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीनने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि इससे अब कुछ फायदा नहीं होने वाला है।

जानिए चुनावी कहानी...
उप चुनाव के लिए 32 दिन से चुनावी घमासान मचा हुआ था। इसमें भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, उमा भारती और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुल 274 सभाएं, रैली, सम्मेलन और रोड-शो किए। वहीं, कमलनाथ ने अकेले सभी सीटों पर 50 से अधिक सभाएं की। 

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ये हैं मुद्दे
भाजपा ने सभी को कोरोना वैक्सीन मुफ्त देने, किसानों को सम्मान निधि को चार हजार रुपए बढ़ाने, सहरिया, बैगा और भारिया जाति के आदिवासियों को एक हजार रुपए सहयोग राशि देने,अनाज की पूरी खरीदी करने, किसानों को फसल बीमा का पैसा और जीरो प्रतिशत पर लोन देने का वादा किया है। इसके अलावा कांग्रेस सरकार में बंद हुईं संबल, लाड़ली, सीएम कन्यादान, पीएम आवास, मेधावी फिर से शुरू करने का ऐलान किया गया है। वहीं, कांग्रेस ने कर्जमाफी योजना आगे भी जारी रखने, शासकीय सेवा से निकाले जाने वाले संविदा कर्मचारी की बहाली, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका का मानदेय बढ़ाने, 100 रुपए में सौ यूनिट बिजली देने और सामाजिक सुरक्षा पेंशन राशि एक हजार रुपए करने का वादा किया है।

यह है ग्वालियर की स्थिति
सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल संभाग में 9 सीटों पर चुनाव हो रहा है। इसमें अशोकनगर से भाजपा के जज्जी की हालत पतली नजर आ रही है। जजपाल सिंह जज्जी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। उन्हें कांग्रेस के साथ भाजपा के अंदर से भी खतरा है। वहीं, दतिया जिले की भांडेर विधानसभा से कांग्रेस से भाजपा में आईं रक्षा सिरोनिया को लेकर स्थिति ठीक नहीं है। यहां से कांग्रेस ने फूलसिंह बरैया को मैदान में उतारा है। उन्हें मुस्लिम वोट मिलने का फायदा मिलेगा। हालांकि यहां से पूर्व गृहमंत्री महेंद्र बौद्ध बसपा से खड़े हुए हैं। उन्होंने मुकाबले का रोचक बना दिया है। पोहरी विधानसभा से सुरेश धाकड़ भाजपा से खड़े हुए हैं। उन्हें जिताने शिवराज सिंह जीजान कोशिश कर रहे हैं। दोनों एक ही समाज के हैं। यहां से कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला को टिकट दिया है। कांग्रेस को यहां से ठाकुरों के वोटों का नुकसान हो सकता है।

करैरा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने प्रागीलाल जाटव को टिकट दिया है। ये बसपा से तीन बार चुनाव लड़कर हार चुके हैं। भाजपा से जसवंत जाटव मैदान में हैं। यहां समाज के वोटों पर फैसला होगा। मुंगावली से कांग्रेस से भाजपा में आए ब्रजेंद्र सिंह यादव मैदान में हैं। वे कांग्रेस से 2 बार विधायक रह चुके हैं। वे अपने ही सांसद डॉ. केपी यादव से परेशान हैं। बमोरी में भाजपा के प्रत्याशी महेंद्रसिंह सिसौदिया हैं। वे कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के केएल अग्रवाल से है। विडंबना यह है कि वे सिंधिया के कहने पर कांग्रेस में आए थे। अब सिंधिया खुद भाजपा में चले गए।

ग्वालियर पूर्व से भाजपा के मुन्नालाल गोयल का मुकाबला कांग्रेस के सतीश सिकरवार से है। गोयल कांग्रेस से भाजपा में आए। यहां जातिगत समीकरण सीट का फैसला करेंगे। ग्वालियर सीट से जब कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला, तो कांग्रेस ने सुनील शर्मा को टिकट दे दिया। यहां कांग्रेस से भाजपा में आए प्रद्युम्न तोमर उम्मीदवार हैं। डबरा से भाजपा ने इमरती देवी को टिकट दिया है, जो सिंधिया खेमे की हैं। कांग्रेस से सुरेश राजे प्रत्याशी हैं। दोनों रिश्तेदार हैं। यहां मुकाबला रोचक हो सकता है।

चंबल का हाल
चंबल संभाग में 7 सीटें हैं। मुरैना से बसपा से खड़े हुए रामप्रकाश राजौरिया ने कांग्रेस से भाजपा में आए रघुराज कंसाना और कांग्रेस के राकेश मावई के लिए चुनौती पेश कर दी है। दिमनी से भाजपा भाजपा के प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया के लिए कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्र तोमर का ठाकुर होना बड़ी चुनौती बन गया है। सुमावली से भाजपा के एंदल सिंह कंसाना का मुकाबला अजबसिंह कुशवाह से है। कंसाना कांग्रेस से भाजपा में आए हैं, जबकि अजबसिंह भाजपा से कांग्रेस में। इसलिए वोटरों के लिए यहां विचित्र स्थिति बन गई है।

जौरा सीट पूर्व विधायक बनवारीलाल शर्मा के निधन से खाली हुई है। यहां भाजपा के पूर्व विधायक सूबेदारसिंह का मुकाबला कांग्रेस के पंकज उपाध्याय से है। पंकज नया चेहरा हैं। अंबाह से भाजपा ने कमलेश जाटव और कांग्रेस ने बसपा से आए सत्यप्रकाश सखवार को मैदान में उतारा है। यहां निर्दलीय उम्मीदवार अभिनव छारी दोनों के लिए गले की फांस बन गए हैं। मेहगांव से कांग्रेस ने पूर्व विधायक हेमंत कटारे  को टिकट दिया है। उनका मुकाबला भाजपा के ओपीएस भदौरिया से है। दोनों ब्राह्मण वोटरों पर आस लगाए बैठे हैं। गोहद से कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव का मुकाबला कांग्रेस से भाजपा में आए रणवीर जाटव से है। यहां जाटव की स्थिति मजबूत है।

मालवा का हाल

हाटपीपल्या में कांग्रेस से भाजपा में आए मनोज चौधरी का मुकाबला पूर्व विधायक राजेंद्रसिंह बघेल के बेटे राजवीर सिंह से है। वे कांग्रेस से उम्मीदवार हैं। यहां भाजपा की हालत खराब है। सांवेर में कांग्रेस से भाजपा में आए तुलसी सिलावट कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्‌डू के खिलाफ मैदान में हैं। यहां मुकाबला बराबर का है। बदनावर में कांग्रेस से भाजपा में आए राजवर्धनसिंह दत्तीगांव  का मुकाबला कांग्रेस के कमल पटेल से है। यहां दत्तीगांव की स्थिति अच्छी है। सुवासरा में भाजपा के हरदीप सिंह डंग की छवि कांग्रेस के राकेश पाटीदार से बेहतर नजर आती है। आगर में भाजपा के मनोज ऊंटवाल के लिए कांग्रेस के विपिन वानखेड़े कड़ी चुनौती बने हुए हैं।

निमाड़ का हाल

नेपानगर में भाजपा की सुमित्रा कास्डेकर को कांग्रेस से दो बार चुनाव हार चुके रामकिशन पटेल के आगे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मांधता से भाजपा प्रत्याशी नारायण पटेल कांग्रेस के राजनारायण के बेटे उत्तम पाल सिंह से पिछड़ते दिख रहे।

भोपाल का हाल
ब्यावरा की सीट कांग्रेस के गोवर्धन दांगी के निधन से खाली हुई है। यहां भाजपा प्रत्याशी नारायण पवार कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र दांगी के खिलाफ खड़े हुए हैं। वे पिछला चुनाव हार गए थे। इस बार स्थिति मजबूत है। सांची में कांग्रेस से भाजपा में आए प्रभुराम चौधरी की स्थिति कांग्रेस के मदन चौधरी से बेहतर दिख रही।

बुंदेलखंड का हाल
सुरखी में कांग्रेस प्रत्याशी पारूल साहू के लिए कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद राजपूत भारी पड़ते दिख रहे। मलहरा में कांग्रेस की साध्वी रामसिया भारती भाजपा के प्रद्युम्न सिंह लोधी पर मजबूत दिख रहीं हैं।

वहीं, महाकौशल की इकलौती सीट अनूपपुर में भाजपा के मंत्री बिसाहूलाल साहू कांग्रेस से विश्वनाथ पर भारी हैं।
 

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