20 मंत्रियों के इस्तीफे के क्या हैं मायने, क्या मध्यप्रदेश में लग सकता है राष्ट्रपति शासन ?

मध्यप्रदेश में एक सप्ताह से जारी सियासी उठक पठक के चलते राज्य के 20 मंत्रियों ने सीएम कमलनाथ को अपना इस्तीफा दे दिया है। इन सभी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के प्रति अपनी आस्था जताई और कैबिनेट के पुनर्गठन की मांग की है। मंत्रियों के इस इस्तीफे ने राज्य में कई तरह के राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे दिया है। अगर कांग्रेस के 17 बागी विधायक कांग्रेस के संपर्क में नहीं आते हैं तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की नौबत भी आ सकती है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 9, 2020 7:28 PM IST

भोपाल. मध्यप्रदेश में एक सप्ताह से जारी सियासी उठक पठक के चलते राज्य के 20 मंत्रियों ने सीएम कमलनाथ को अपना इस्तीफा दे दिया है। इन सभी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के प्रति अपनी आस्था जताई और कैबिनेट के पुनर्गठन की मांग की है। मंत्रियों के इस इस्तीफे ने राज्य में कई तरह के राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे दिया है। अगर कांग्रेस के 17 बागी विधायक कांग्रेस के संपर्क में नहीं आते हैं तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की नौबत भी आ सकती है। एशियानेट न्यूज से बातचीत में वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ प्रदीप जायसवाल जी ने मध्यप्रदेश में बन रहे राजनीतिक समीकरणों के बारे में जानकारी दी। 

विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं कमलनाथ
राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों के इस्तीफे जरिए अपने बागी विधायकों को लुभाने की कोशिश की है। कमलनाथ अपने बागी विधायकों और सिंधिया को यह संदेश देना चाह रहे हैं कि उनके पाले के नेताओं के भी अब मंत्रीमंडल में जगह मिलेगी। अब मंत्रीमंडल के पुनर्गठन के दौरान बागी विधायकों को मंत्री पद का लालच देकर सरकार के लिए समर्थन मांगा जा सकता है। और बागी विधायकों को कैबिनेट में जगह देकर कांग्रेस डैमेज कंट्रोल कर सकती है। इसके अलावा राज्यसभा में भी विधायकों का मत लेने के लिए यह जदम उठाया गया है। मंत्री बनने के लालच में सभी विधायक कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करेंगे और पार्टी राज्य से अपने 2 सांसद राज्यसभा में भेज सकती है। फिलहाल राज्यसभा में मध्यप्रदेश से कुल 3 सांसद हैं, जिसमें से 2 भाजपा के हैं, जबकि एक कांग्रेस से हैं। 

सिंधिया बने किंगमेकर
कांग्रेस में अंदरूनी कलह के बाद सिंधिया राज्य के किंगमेकर बन चुके हैं। सिंधिया चाहें तो भाजपा के साथ मिलकर राज्य में अपनी सरकार बना सकते हैं। उनके पास भाजपा के समर्थन से राज्सभा में जाने का विकल्प भी मौजूद है। वहीं उनके पाले के मंत्री कांग्रेस को समर्थन जारी रखते हुए सिंधिया के लिए राज्यसभा की सीट या प्रदेश अध्यक्ष पद की मांग भी कर सकते हैं। 

राज्यसभा सांसद की एक सीट पर फंसा पेंच 
राज्यसभा सांसद के चुनाव के लिए 58 विधायकों के वोट की जरूरत होती है। मध्यप्रदेश से फिलहाल एक सांसद भाजपा के खेमे का और एक सांसद कांग्रेस के खेमे का राज्यसभा में जाना तय है। अपने खेमे का दूसरा सांसद भेजने के लिए 116 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। भाजपा के पास 107 विधायक हैं और यदि यह पार्टी 9 कांग्रेसी या निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर लेती है तो अपने दो सांसद राज्यसभा में भेज सकती है, जबकि कांग्रेस यदि डैमेज कंट्रोल करने में सफल रहती है तो बड़ी आसानी से 2 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कांग्रेस का दूसरा सांसद राज्यसभा में जा सकता है।

राज्य में भाजपा बना सकती है सरकार 
भारतीय जनता पार्टी यदि सिंधिया को अपने खेमे में मिला लेती है और सिंधिया के पाले के विधायक भाजपा को अपना समर्थन दे देते हैं तो राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी बन सकती है।

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