
मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति में पोस्टर ब्वॉय बनकर उभरे नेता आदित्य ठाकरे गुरूवार को नामांकन पत्र भर रहे हैं। 29 साल के शिवसेना आदित्य को जन-जन का नेता कहा जा रहा है। शिवसेना की कट्टर रिमोट कंट्रोल वाली राजनीति के उलट आदित्य सबको साथ लेकर चलने वाली राजनीति की गंगा बहाने चले हैं। पिछले कुछ सालों में राजनीति में खुद को झोंक चुके आदित्य सबसे युवा नेता के तौर पर देश भर में छाए हुए हैं।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे एक बड़े जुलूस और गाजे-बाजे के साथ निकले हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए आज एक ऐतिहासिक है। पहली बार ठाकरे परिवार से कोई चुनाव लड़ने जा रहा है। आदित्य ने बाल ठाकरे को नमन किया और विधानसभा चुनाव का नामांकन भरने के लिए निकल पड़े।
आइए आपको बताते हैं कि कैसे आदित्य महाराष्ट्र की राजनीति में पोस्टर ब्वॉय बनकर उभरे हैं-
1. पारिवारिक बैक ग्राउंड
आदित्य एक राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनका बचपन राजनीतिक गतिविधियों में गुजरा है। दिवंगत बाल ठाकरे ने साल 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी। हालांकि ठाकरे परिवार से किसी भी सदस्य ने कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना रिमोट से सरकार को कंट्रोल करती रही है। आदित्य के पिता उद्धव ठाकरे शिवसेना प्रमुख हैं। उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे भी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख हैं।
2. शिवसेना की राजनीति की गहरी समझ :
आदित्य को राजनीतिक पहुंच विरासत में मिली है लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी और राजनीति को गहराई से समझा है। इसके लिए आदित्य ने भरसक मेहनत भी की है। आदित्य ने कहा, उन्हें बचपन से राजनीति पसंद रही है वह अपने दादा बाल ठाकरे के साथ रैलियों में जाया करते थे। पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आदित्य ने कहा, ठमैं कुछ कर सकता हूं तो वह राजनीति ही है क्योंकि यह एकमात्र ऐसा माध्यम है जो करोड़ो लोगों की जिंदगी बदल सकता है।"
3. कम उम्र, प्रभावशाली स्पीकर
आदित्य मराठी भाषी हैं लेकिन वह एक मंझे हुए वक्ता हैं जो मराठी, हिंदी और इंग्लिश में जनता के बीच जब बोलते हैं तो दिल जीत लेते हैं। आदित्य मराठी, इंग्लिश और बेहतरीन हिंदी भाषी हैं। बहुत कम उम्र में आदित्य एक बेहतरीन और प्रभावशाली स्पीकर बनकर उभरे। बच्चों के बीच भी आदित्य ने संवाद कायम रखा है। वह जन आशीर्वाद यात्रा और आदित्य संसद जैसे कार्यक्रमों और रैलियों के द्वारा जनता से सीधे रूबरू होते हैं। युवाओं के बीच आदित्य का अपना स्वैग है। बहुत संयम और बिना आक्रामक हुए आदित्य अपनी बात रखते हैं जनता के सवालों और समस्याओं को सुनते भी हैं।
4. राज्य भर का दौरा, युवाओं से वन टू वन संवाद
जन आशीर्वाद यात्रा और आदित्य संसद जैसे कार्यक्रमों से आदित्य बिना राजनीति में आए ही जनता से जुड़ गए। आदित्य ने चुनाव लड़ने से पहले ही राज्य भर का दौरा किया है। वह युवाओं से वन टू वन संवाद करते हैं। वह फुटबॉल प्रेमी हैं और कविताएं और गीत भी लिखते हैं। आदित्य ने युवा नेता के तौर पर अपनी मजबूत पहचान बनाई है।
5. सबको साथ लेकर चलने का मंत्र
शिवसेना की कट्टर हिंदू वाली छवि रही है। महाराष्ट्र में मराठा लोगों की पैरवी करने वाली शिवसेना के ही नेता आदित्य सबको साथ लेकर चलने वाली बात कर रहे हैं। आदित्य की चुनावी रणनीति पार्टी की विचारधारा के बिल्कुल उलट है
पोस्टर ब्वॉय आदित्य शिवसेना की राजनीति में पहली बार सबको साथ लेकर चलने की विचारधारा के साथ चल रहे हैं। आदित्य जनता के बीच एक मिलनसार नेता बनकर उभरे हैं। आदित्य नामांकन पत्र भरने के वक्त मिल रहे लोगों के प्यार को देख काफी भावुक हो गए हैं।
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