महाराष्ट्र में सियासी संकट के 9 दिन: विधायकों की बगावत से लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तक, जानें कब क्या हुआ

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घमासान कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इसी बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल ने गुरुवार यानी 30 जून को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। शिवसेना इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।  पिछले 9 दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में काफी उठापटक देखने को मिली है। आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 27, 2022 9:27 AM IST / Updated: Jun 29 2022, 07:47 PM IST

Maharashtra Politica Crisis: महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घमासान कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इसी बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल ने गुरुवार यानी 30 जून को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। शिवसेना इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। बता दें कि पिछले 9 दिनों से महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक बढ़ती ही जा रही है। पूरा सियासी खेल 21 जून से शुरू हुआ। तब से अब तक इन 9 दिनों में हर रोज नए-नए घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। जानते हैं इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?

21 जून : शिवसेना के 30 विधायकों ने की बगावत
शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के 30 विधायकों ने बगावत कर दी। ये सभी रातोंरात मुंबई से सूरत पहुंच गए और वहां के ली मेरिडियन होटल में रुके। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने शिंदे से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन बंद था। बाद में शिवसेना के कुछ और विधायक बगावत कर सूरत पहुंच गए। 

22 जून : 40 विधायक सूरत से गुवाहाटी पहुंचे
सूरत के ली मेरिडियन होटल से 40 विधायकों को आनन-फानन गुवाहाटी शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बागियों को मनाने के लिए समझौता करने के लिए कहा। 

23 जून : शिंदे ने अपने गुट के विधायकों के नाम बताए :   
एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थन में 34 विधायकों की लिस्ट जारी की। इसके साथ ही होटल से इन विधायकों के फोटो और वीडियो भी सामने आए। बाद में शिवसेना ने 12 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष से शिकायत की। 

24 जून : संजय राउत ने दी बागी विधायकों को धमकी
शिवसेना नेता संजय राउत ने बागी विधायकों को धमकी दी। कहा- शिवसेना के कार्यकर्ता अभी सड़कों पर नहीं उतरे हैं। लेकिन इस तरह की लड़ाइयां या तो कानून के जरिए लड़ी जाती हैं या फिर सड़कों पर। इसके अलावा राउत ने ट्वीट किया- कब तक छिपोगे गौहाटी में, आना ही पड़ेगा चौपाटी में। 

25 जून : शिवसैनिकों ने बागी विधायकों के ऑफिस में की तोड़फोड़
संजय राउत की धमकी के बाद शिवसैनिकों ने बागी विधायकों के ऑफिस में जमकर तोड़फोड़ की। इसके साथ ही विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरावल ने 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का नोटिस दे दिया। 

26 जून : अयोग्य घोषित करने वाले नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती 
शिंदे और उनके गुट के सभी 15 विधायकों ने विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा उन्हें अयोग्य करार दिए जाने वाले नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। 

27 जून : सुप्रीम कोर्ट में विधायकों की अर्जी पर हुई सुनवाई 
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार के वकील सिंघवी से पूछा कि जिस स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो वो विधायकों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई कैसे कर सकता है? 

28 जून : सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद फ्लोर टेस्ट की आहट : 
एकनाथ शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत मिलने के बाद मुंबई में फ्लोर टेस्ट की बातें शुरू हुईं। खुद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस मामले में फ्लोर टेस्ट कराने के पक्ष में दिखे।

29 जून : फ्लोर टेस्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना : 
महाराष्ट्र में गुरुवार को उद्धव सरकार का फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। फ्लोर टेस्ट के आदेश के खिलाफ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इन 16 बागी विधायकों ने लगाई है अर्जी : 
जिन 16 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है उनमें संदीपन आसाराम भुमरे, संजय पांडुरंग शिरसाट, यामिनी यशवंत जाधव, अनिल कलजेराव बाबर, भरत गोगावले, प्रकाश राजाराम सुर्वे, अब्दुल सत्तार, लताबाई चंद्रकांत सोनवणे, तानाजी जयवंत सावंत, महेश संभाजीराजे शिंदे, रमेश नानासाहेब बोरनारे, बालाजी देवीदासराव कल्याणकर, संजय भास्कर रायमुलकर, बालाजी प्रहलाद किनिलकर और चिमनराव रूपचंद पाटिल हैं।

क्या है मामला : 
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में करीब 40 विधायकों ने उद्धव सरकार (महा विकास अघाड़ी) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिंदे गुट का कहना है कि सरकार में न तो उनकी बात सुनी जाती थी और कई बार उन्हें सीएम से मिलने के लिए घंटों गेट पर खड़े रहना पड़ता था। इसके साथ ही वो नहीं चाहते कि उद्धव सरकार एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चलाए। इसके बाद से ही महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। 

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