राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कांग्रेस में विलय की अटकलों को तेज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान को कम करके आंकते हुए वरिष्ठ नेता अजित पवार ने बुधवार को शिंदे की टिप्पणी को उनकी निजी राय बताया।
पुणे(Pune). राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कांग्रेस में विलय की अटकलों को तेज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान को कम करके आंकते हुए वरिष्ठ नेता अजित पवार ने बुधवार को शिंदे की टिप्पणी को उनकी निजी राय बताया।
राकांपा प्रमुख शरद पवार को कभी अपना राजनीतिक गुरु बताने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिंदे ने मंगलवार को यह कहकर अटकलों को तेज कर दिया था कि राकांपा और कांग्रेस एक साथ आएंगे ‘‘क्योंकि वे भी अब थक गए हैं और हम भी थक गए हैं।’’
यहां पार्टी के एक कार्यक्रम के इतर शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने कांग्रेस नेता की टिप्पणी को उनकी ‘निजी राय’ बताया। अजित ने कहा, ‘‘वह (शिंदे) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने अपनी निजी राय व्यक्त की है। उन्होंने जो कहा है वह मैंने सुना है और मेरे हिसाब से उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए हैं जो उनका अधिकार है।’’
अजित पवार ने कहा, ‘‘कांग्रेस और राकांपा ने राज्य में 175 सीटों से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। राज्य की 288 विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव होना है। मैं उनके (शिंदे के) बयान या विचार पर कोई टिप्पणी करके राकांपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भ्रमित नहीं करना चाहता हूं। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राकांपा और कांग्रेस ने अलग अलग काम किया है लेकिन भाजपा-राजग के खिलाफ एक साथ आए हैं।’’
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राकांपा और कांग्रेस ने अलग अलग काम किया है लेकिन भाजपा-राजग के खिलाफ एक साथ आए हैं।
शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस छोड़ने के बाद राकांपा का गठन किया था। इससे पहले राकांपा के कांग्रेस में विलय की अटकलें इस साल जून में तब तेज हुई थी जब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के परिणामों पर चर्चा करने के लिए शरद पवार से मुलाकात की थी। शरद पवार ने अफवाहों को खारिज करते हुए कहा था कि राकांपा की अपनी पहचान है और पार्टी इसे बरकरार रखेगी।
ठाकरे की कि आलोचना
इस बीच, अजित ने अपना मज़ाक उड़ाने के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की आलोचना की। ठाकरे ने आरोप लगाया था कि बारामती सीट से विधायक के तौर पर इस्तीफा देने के एक दिन बाद अजित ने संवाददाता सम्मेलन में ‘घड़ियाली आंसू’ बहाए थे।
अजित ने तब कहा था कि उन्होंने इस्तीफा देने का निर्णय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके चाचा शरद पवार के खिलाफ एमएससीबी घोटाले में मामला दायर करने को लेकर दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे ख्याल से ठाकरे को मेरे आंसुओं पर बात करने के बजाय भाजपा-शिवसेना के गठबंधन के चलने को तव्वजो देनी चाहिए। महाराष्ट्र जानता है कि मैं उन लोगों से नहीं हूं जो भाग जाते हैं या रोते रहते हैं।’’
देवेंद्र फडणवीस को कहा ‘किसान विरोधी’
देवेंद्र फडणवीस सरकार को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए अजित ने कहा कि प्याज़ का निर्यात ऐसे वक्त में रोका गया है जब किसानों को उसकी बेहतर कीमत मिल रही थी।
जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्ज को खत्म करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वह कदम का पहले ही समर्थन कर चुके हैं क्योंकि यह राष्ट्रीय मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘ अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करना राष्ट्रीय मुद्दा है। भाजपा को मतदाताओं को बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी, किसानों की खुदकुशी और बढ़ती सांप्रदायिकता के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।’’