वोट पड़ने-गिनती होने से पहले ही हार मान चुकी है कांग्रेस, राहुल गांधी को बचा रही पार्टी

Published : Oct 07, 2019, 11:09 AM ISTUpdated : Oct 07, 2019, 01:33 PM IST
वोट पड़ने-गिनती होने से पहले ही हार मान चुकी है कांग्रेस, राहुल गांधी को बचा रही पार्टी

सार

दो बड़े राज्यों में महत्वपूर्ण चुनाव हो रहे हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा के रूप में ये दो ऐसे बड़े राज्य हैं जहां पांच साल पहले कांग्रेस, सत्ता में थी। लेकिन पार्टी की हालत और रवैये से यही नजर आ रहा है कि वोट पड़ने और उनकी गिनती होने से पहले ही कांग्रेस, रेस से बाहर है और अपनी हार मान चुकी है। 

मुंबई/दिल्ली. दो बड़े राज्यों में महत्वपूर्ण चुनाव हो रहे हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा के रूप में ये दो ऐसे बड़े राज्य हैं जहां पांच साल पहले कांग्रेस, सत्ता में थी। लेकिन पार्टी की हालत और रवैये से यही नजर आ रहा है कि वोट पड़ने और उनकी गिनती होने से पहले ही कांग्रेस, रेस से बाहर है और अपनी हार मान चुकी है।  

दोनों राज्यों में कांग्रेस का कैंपेन उत्साहहीन नजर आ रहा है, पार्टी के अंदरुनी झगड़े सतह पर हैं। स्थानीय नेताओं के मतभेद सास-बहू के झगड़ों की तरह सड़क पर नजर आ रहा है। दोनों राज्यों हरियाणा और महाराष्ट्र में अशोक तंवर और संजय निरुपम के एपिसोड में जो दिखा, कोई भी पार्टी चुनाव से ठीक पहले ऐसे कांड की सोच भी नहीं सकती। पार्टी के अंदर का माहौल किस तरह उदास, सुस्त और उत्साहहीन है इसका अंदाजा शीर्ष नेतृत्व की बेरुखी में भी नजर आता है।

दोनों राज्यों में जहां दूसरे तमाम दल अपने अभियान की शुरुआत कर चुके हैं, वहीं कांग्रेस की टॉप लीडरशिप सीन से ही गायब है। जिस वक्त चुनाव हो रहे हैं और पार्टी को अपनी ताकत झोक देना था, मातमी सन्नाटा नजर आ रहा है।  

शरद पवार कांग्रेस की डूबती उम्मीदों का बोझ ढो रहे

स्थानीय स्तर पर भी पता नहीं चल रहा कि दोनों राज्यों में पार्टी का नेतृत्व आखिर कौन कर रहा है? हरियाणा में तो एक हद तक स्थिति साफ है, मगर महाराष्ट्र में दर्जनों दिग्गजों की मौजूदगी के बावजूद कोई एक चेहरा आगे बढ़कर जूझता नहीं दिख रहा है। राज्यस्तरीय नेता अपनी विधानसभा सीटों तक सिमटे नजर आ रहे हैं। हां, 78 साल के शरद पवार अपनी पार्टी के साथ ही कांग्रेस की डूबती उम्मीदों का बोझ ढोते नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व गायब है। हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल राजनीतिक परिदृश्य में लगभग लापता हो चुके हैं। उनकी अनुपस्थिति पर भाजपा समेत तमाम विरोधी पार्टियां तंज कस रही हैं । पार्टी का कहना है कि राहुल बैंकॉक में अपनी छुट्टी मनाकर 11 अक्टूबर से चुनाव अभियान में जुटेंगे।

क्या राहुल गांधी को बचा रही है कांग्रेस?

दोनों राज्यों में जो सीन सामने निकलकर आ रहा है उससे यह बिलकुल साफ है कि पार्टी बिखरी हुई है और नाउम्मीद है। इससे पहले खबर थी की दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर पदयात्रा के जरिए राहुल वर्धा से कांग्रेस के अभियान की शुरुआत करेंगे। लेकिन राहुल गांधी ने तय प्रोग्राम टाल दिया और दिल्ली  में आयोजित पदयात्रा में शामिल हुए। महाराष्ट्र में पार्टी के अंदर यह चर्चा भी होने लगी कि राहुल बाबा चुनावी कैम्पेन में हिस्सा ही नहीं लेंगे। संजीवनी तलाश रही पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं के लिए इससे बुरी खबर और क्या हो सकती है।

देखने में आया है कि एक पर एक चुनावों में मिली हार का ठीकरा लगातार राहुल गांधी के सिर मढ़ दिया जाता है। जबकि पार्टी के जीत की कामयाबी दूसरे नेता लेकर निकल जाते हैं। पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में पार्टी की कामयाबी के बाद यह नजर भी आया। 

राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कांग्रेस की जीत का सेहरा स्थानीय नेताओं के सिर पर बांध दिया गया। लेकिन जब लोकसभा चुनाव में पार्टी की दुर्गति हुई तो एक बार फिर राहुल पर जिम्मेदारी थोप दी गई। राहुल ने जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा भी दे दिया और कहा की दूसरे नेता भी हार की जिम्मेदारी लें। हालांकि ये जिम्मेदारी लेने के लिए कोई दूसरा नेता सामने नहीं आया।

कांग्रेस में राहुल के करीबियों को आशंका है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में हार का ठीकरा (लगभग तय बताया जा रहा है) भी राहुल के मत्थे मढ़ दिया जाएगा। संभवत: सलाहकार नहीं चाहते कि दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी नेतृत्व करते नजर आए। यह एक तरह से पार्टी प्रमुख के रूप में राहुल गांधी की वापसी को बरकरार रखने की कोशिश है।

न सिर्फ राहुल गांधी बल्कि दोनों राज्यों में प्रियंका वाड्रा को लेकर भी यही रणनीति अपनाई जा रही है। ताकि दोनों नेताओं को भविष्य के लिए सेफ किया जाए। विपक्ष और जनता के बीच उनके नेतृत्व पर सवाल न उठ सके।

लेकिन सौ बातों की एक बात यह कि जब पार्टी ही गर्त में चली जाएगी तो उसके नेतृत्व का क्या मतलब रह जाएगा।

PREV

मुंबई-पुणे से लेकर पूरे महाराष्ट्र की राजनीति, बिज़नेस गतिविधियाँ, बॉलीवुड अपडेट्स और लोकल घटनाओं पर हर पल की खबरें पढ़ें। राज्य की सबसे विश्वसनीय कवरेज के लिए Maharashtra News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — केवल Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

Painful True Story: वायरल मीम बने लड़के राजेंद्र पंचाल की फोटो के पीछे है दर्दभरी कहानी
Horrible Accident in Nasik: 800 फीट गहरी खाई में गिरी Innova, परिवार के 6 लोगों की मौत