चुनाव के दौरान फ़ेक न्यूज़ शेयर की तो होगी कार्रवाई, आयोग ने जारी की गाइडलाइन

विधानसभा चुनाव 2019 के लिए आचार संहिता लागू कर दी गई है। इसके लिए चुनाव आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट पर सोशल मीडिया के लिए भी नियमों की सूचना जारी कर दी गई है।

मुंबई. विधानसभा चुनाव 2019 के लिए आचार संहिता लागू कर दी गई है। इसके लिए चुनाव आयोग की अॉफिशियल वेबसाइट पर सोशल मीडिया के लिए भी नियमों की सूचना जारी कर दी गई है। अब अधिकतर पार्टियां, उनके समर्थक और कार्यकर्ता प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता को लागू किया जाएगा। जो चुनाव के समय आपको मालूम होने चाहिए। ताकि किसी नियम का उलंघन न हो।

अगले कुछ महीनों में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर आदर्श आचार संहिता लागू की जाएगी। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर नियमों का उल्लंघन ना हो इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों को कहा है कि वे लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में कोड ऑफ कंडक्ट का पालन करें। आइए आपको बताते हैं सोशल मीडिया के किन-किन प्लैटफॉर्मस पर क्या नियम लागू किए जाएंगे। साथ ही क्या न करने की सख्त मनाही है।

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फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर पर खास नजर-

चुनाव आयोग ने फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, गूगल, शेयर चैट और बाइटडांस जैसी सोशल कंपनियों को सख्त निर्देश दिए हैं। इन नियमों के तहत शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हो सकेंगे। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को चुनाव आयोग की तरफ से लैटर भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि 'ये जरूरी है कि कि IAMAI के अंतर्गत आने वाली सभी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा आने वाले चुनाव में कोड ऑफ इथिक्स का पालन किया जाए।' IAMAI की एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट चित्रिता चटर्जी ने इस पर जनाब भी दे दिया है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री एसोसिएशन इस मामले में सोशल मीडिया कंपनी के जवाब का इंतजार कर रही है।क्योंकि इस मेल पर अभी तक फेसबुक, गूगल औऱ बाइटडांसकी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, वहीं ट्विटर, व्हाट्सएप और शेयरचैट ने भी कोई जवाब नहीं दिया।

हरियाणा और महाराष्ट्र में इसी साल अक्टूबर-नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। झारखंड में जनवरी 2020 में जबकि दिल्ली में फरवरी 2020 में विधानसभा चुनाव होने हैं। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के वक्त मार्च में चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए गाइडलाइन बनाई थी। विधानसभा चुनाव के दौरान भी इलेक्शन कमीशन इसे जारी रखेगा।

'स्वैच्छिक आचार संहिता की जरूरी बातें- 

1. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चुनावी कानूनों और अन्य संबंधित निर्देशों सहित जागरूकता बनाए रखने के लिए इनफोर्मेंशन, शिक्षा और संचार अभियान चलाएगा।

2. चुनाव आयोग द्वारा दी गई कोई शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए सोशल मीडिया नियमों के तहत एक  खास प्लैटफॉर्म बनाया है।

3. सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और ईसीआई ने एक अधिसूचना तंत्र विकसित किया है। इस ईसीआई द्वारा आर.पी. अधिनियम, 1951 की धारा 126 और अन्य चुनावी कानूनों के तहत कानून का उलंघन करने पर उस सोशल मीडिया पेज या व्यक्ति के खिलाफ तुंरत कार्रवाई कर सकता है।

4. सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को अॉथेंटिक कंटेट शेयर करना होगा। फेक कंटेट होने पर ब्लॉक हो सकते हैं। पेज या आईडी पर राजनीतिक विज्ञापन या कोई भी कंटेट (फोटो, खबर आदि) मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियों से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार पूर्व-प्रमाणित होना चाहिए। 

5. राजनीतिक पार्टियों के प्लेटफ़ॉर्म राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता बरतेंगे। विज्ञापनों के लिए पहले से मौजूद लेबल नाम आदि का उपयोग कानून के अंदर ही हो।

आयोग के सख्त होने पर ही सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और IAMAI चुनाव पर गंभीर होकर काम किया। लोकसभा चुनाव 2019 में " स्वैच्छिक कोड तैयार किया था। लागू करने के 20 वें दिन ही यह चर्चा में आ गया था। चुनाव के दौरान मार्च, 2019 में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने 909 हिंसक मामलों पर कार्रवाई की थी। यह सभी मामले  ईसीआई द्वारा रिपोर्ट किए गए थे। 
 

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