विधानसभा चुनाव 2019 के पहले से बीजेपी के रडार पर थे एकनाथ शिंदे, फडणवीस से दोस्ती ने दिखाया रंग

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले से बीजेपी के रडार पर थे। देवेंद्र फडणवीस के साथ उनकी दोस्ती ने भी बगावत की इस कहानी में रंग दिखाया है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 23, 2022 10:01 AM IST / Updated: Jun 23 2022, 03:58 PM IST

मुंबई। महाराष्ट्र में चल रहा राजनीतिक संकट (Maharashtra political crisis) गुरुवार को भी जारी है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने तस्वीर जारी कर अपने साथ 42 विधायकों के होने का दावा किया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के हाथ से सत्ता फिसलती नजर आ रही है। एकनाथ शिंदे अचानक बागी नहीं हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार 2019 के विधानसभा चुनाव के समय से ही वह बीजेपी के रडार पर थे। बीजेपी नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के साथ उनकी दोस्ती ने भी बगावत की इस कहानी में अपना रंग दिखाया है। 

देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की दोस्ती पुरानी है। दोनों नेताओं के बीच 2015 से घनिष्ठ संबंध हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार अगर भाजपा और शिवसेना ने 2019 का विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा होता तो शिंदे ठाणे निर्वाचन क्षेत्र के लिए भाजपा की पसंद होते। 2019 के चुनाव से पहले भाजपा शिंदे को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन भाजपा और शिवसेना के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन के कारण शिंदे शिवसेना में बने रहे और उसी पार्टी से चुनाव लड़ा।

शिंदे को थी अच्छे पद की उम्मीद
पिछली सरकार में फडणवीस शिंदे को और अधिक प्रशासनिक जिम्मेदारी देने के लिए तैयार थे। शिंदे के एक करीबी के अनुसार 2014 में शिवसेना विपक्ष में थी तो शिंदे को विपक्ष का नेता बनाया गया था, लेकिन जब शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनी तो उन्हें PWD मंत्री बना दिया गया। शिंदे इससे अच्छे पद की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उद्धव ठाकरे को यह मंजूर नहीं था।  

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रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 और 2019 के बीच भाजपा को यह अहसास हो गया था कि शिंदे शिवसेना में खुद को दबा हुआ महसूस कर रहे हैं। 2015 में जब फडणवीस ने 12,000 करोड़ रुपए के नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे की घोषणा की तो उन्होंने अपनी पसंदीदा परियोजना को लागू करने के लिए शिंदे को चुना। भाजपा के एक नेता के अनुसार शिंदे के विद्रोह में सिर्फ भाजपा की भूमिका नहीं कही जा सकती। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि शिंदे की इच्छा थी और ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के लिए शिवसेना के भीतर समर्थन था। शिंदे जैसे जन नेता सम्मान की तलाश करते हैं। यह फडणवीस ने हमेशा दिया है।

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