महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के 5 अजब-गजब किस्से, पहली बार रहे ऐसे हालात

Published : Oct 24, 2019, 10:52 AM ISTUpdated : Oct 24, 2019, 11:05 AM IST
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के 5 अजब-गजब किस्से, पहली बार रहे ऐसे हालात

सार

विधानसभा चुनाव महासांग्राम में हम आपको महाराष्ट्र की राजानीति में हुए अजब-गजब किस्सों के बारे में बता रहे हैं। इस बार राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे बने कि भाई-बहन आमने सामने चुनावी रण में उतरे हैं तो कहीं चाचा ने भतीजे के लिए पूरा मैदान ही खाली कर दिया।

मुंबई/पुणे. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में चुनावी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। महाराष्ट्र में विधानसभा के लिए 288 सीटों पर प्रत्याशी उतारे गए थे। भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा और राकांपा, कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां भी मैदान में रहीं। महाराष्ट्र में भाजपा मुख्यमंत्री देंवेंद्र फडणवीस के चेहरे पर चुनाव लड़ी, कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया। हम आपको महाराष्ट्र की राजानीति में हुए अजब-गजब किस्सों के बारे में बता रहे हैं। इस बार राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे बने कि भाई-बहन आमने सामने चुनावी रण में उतरे हैं तो कहीं चाचा ने भतीजे के लिए पूरा मैदान ही खाली कर दिया।

राज ठाकरे ने निभाया पारिवारिक धर्म 

महाराष्ट्र नव निर्माण सेना मनसे प्रमुख राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच यूं तो तनातनी रहती है। पर जब विधानसभा चुनाव में शिवसेना प्रमुख ने अपने बड़े बेटे आदित्य ठाकरे को चुनाव मैदान में उतारा तो राज ठाकरे ने पारिवारिक धर्म निभाया। दरअसल आदित्य ठाकरे ने अपने वर्ली सीट से चुनाव लड़ा है। इस सीट पर मनसे को पहले से ही बहुमत हासिल रहा है। मनसे का वर्ली में दबदवा रहा है लेकिन जब उद्धव को इसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा तो चाचा ने भतीजे के खिलाफ अपनी पार्टी से कोई उम्मीद नहीं उतारा। राज नहीं चाहते कि उनकी पार्टी आदित्‍य के रास्‍ते में रोड़ा बने। राज ठाकरे का फैसला यह भी दिखाता है कि परिवार भीतर से एकजुट है। इतना ही नहीं मनसे चीफ ने पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं को हिदायत दी है कि वह मीडिया में आदित्‍य को लेकर चुनाव से पहले या बाद में नेगेटिव बयान ना दें और कार्यकर्ता वर्ली इलाके में ना जाएं।

गठबंधन के बावजूद शिवसेना ने भाजपा के खिलाफ 2 सीटों पर उतारे थे प्रत्याशी

भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ी। नामांकन के अंतिम दौर में दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे पर सहमति बन गई थी, लेकिन दो सीटों पर सेना ने भाजपा खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे। कंकावली और माण दो ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा-शिवसेना का गठबंधन टूट गया। शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन होने के बावजूद अपने कैंडिडेट उतारे। कंकावली सीट से बीजेपी ने पूर्व सीएम नारायण राणे के बेटे नितेश राणे को टिकट दिया, जबकि माण से जयकुमार गोरे को मैदान में उतारा। शिवसेना के इस दांव ने इन दोनों ही सीटों की लड़ाई को बेहद दिलचस्प बना दिया।

ओवैसी की पार्टी ने शिवसेना के खिलाफ कैंडिडेट भी किया समर्थन

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सियासी सिर्फ कांग्रेस और भाजपा के बीच ही नहीं है इसमें एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी हैं। इस बार चुनाव में शिवसेना और ओवैसी पार्टी के बीच तल्खी बराबर बनी रही। ओवैसी ने अपने हर भाषण में बीजेपी और मोदी पर निशाना साधा लेकिन एआईएमआईएम के महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख इम्तियाज जलील ने शनिवार को कन्नड सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शिवसेना के पूर्व विधायक हर्षवर्धन जाधव का समर्थन करने की घोषणा की। 

चाचा भतीजे की लड़ाई-

महाराष्ट्र के बीड में चाचा और भतीजे की लड़ाई की ओर समूचे राज्य का ध्यान लगा हुआ है। यहां पर संदीप क्षीरसागर और जयदत्त क्षीरसागर इन चाचा भतीजे में चल रहा संघर्ष अब एक दूसरे के चरित्र हनन तक पहुंच गया है। भतीजा संदीप ने अपने चाचा जयदत्त के खिलाफ बोलते हुए उनके लिए अपमानित करने वाले शब्दों का उपयोग किया। जिसे उत्तर देते हुए जयदत्त क्षीरसागर ने 'नशे में बोलने वाले को मैं उत्तर नहीं देता' ऐसा कहा। शुरू हुई जुबानी जंग-जिसके बाद संदीप क्षीरसागर बौखला गए है, अब उन्होंने अपने चाचा के चरित्र के सबूत देने की बात कही है। इस चुनाव में चाचा भतीजे की लड़ाई ने भी जमकर सुर्खियां बटोरीं।

चुनावी दंगल में आमने सामने भाई-बहन- 

राज्य में सबसे दिलचस्प और हाई वोल्टेज मुकाबला परली विधानसभा में देखने को मिल रहा है। भाई-बहन के बीच में होनेवाली इस लड़ाई की ओर पूरे राज्य का ध्यान है। यहां भाजपा के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे की बेटी और मंत्री पंकजा मुंडे (बीजेपी) और चचेरे भाई धनंजय मुंडे (राकांपा) के बीच यह लड़ाई काफी रोचक है।

भाजपा की सहयोगी पार्टियां कमल चुनाव चिन्ह पर लड़ी- 

महाराष्ट्र  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 125 तो बीजेपी ने 150 सीटों पर चुनाव लड़ा। साथ ही बीजेपी की कई सहयोगी पार्टियां भी मैदान रहीं। चुनाव को लेकर सत्तारुढ़ बीजेपी ने मैदान में 164 प्रत्याशी उतारे जिनमें 152 खुद बीजेपी के उम्मीदवार रहे। 12 सीटों पर सहयोगी पार्टी के उम्मीदवार कमल चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ महायुती गठबंधन के जरिए चुनाव लड़ी। शिवसेना ने 124 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बीजेपी ने इस बार चुनाव में नई रणनीति अपनाई और अन्य पार्टियों को खुद में शामिल कर इस तरह अपनाया कि चुनाव चिन्ह में भी अंतर न हो। जनता और वोटर्स गुमराह न हो और डायरेक्ट बीजेपी को वोट दें इसके लिए गठबंधन में समाहित की गई पार्टियों को कमल के फूल पर ही चुनाव चिन्ह लड़ने को कहा गया।

 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने अलग अलग चुनाव लड़ा था। चुनाव के बाद दोनों पार्टियों ने गठबंधन की सरकार बनाई। पिछले चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी ने भी अलग-अलग चुनाव लड़ा था। साल 2014 में भाजपा को 122 (28.1%), शिवसेना 63 (19.5%), कांग्रेस 42 (18.1%), एनसीपी 41 (17.4),आईएनडी 7 (4.8%) और अन्य को 13 (12.1) सीट मिले थे।   

 (हाई प्रोफाइल सीटों पर हार-जीत, नेताओं का बैकग्राउंड, नतीजों का एनालिसिस और चुनाव से जुड़ी हर अपडेट के लिए यहां क्लिक करें)

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