
मालेगांव : कर्नाटक (Karnataka) के एक स्कूल से शुरू हुआ हिजाब विवाद (Hijab Controversy) का असर अब धीरे-धीरे पूरे देश में दिखाई देने लगा है। शुक्रवार को महाराष्ट्र (maharashtra) के मालेगांव (Malegaon) में महिलाओं ने हिजाब के समर्थन में जमकर प्रदर्शन किया। जानकारी के मुताबिक यह प्रदर्शन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेतृत्व में किया गया। पुलिस ने बिना अनुमति प्रदर्शन करने पर धारा 144 के उल्लंघन का केस दर्ज किया है। चार आयोजकों पर FIR दर्ज की गई है।
जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च
महिलाएं हिजाब दिवस मनाने के लिए मालेगांव में जुटीं। जमीयत उलेमा ने अजीज कल्लू मैदान में प्रदर्शन का आयोजन किया। बुर्का और हिजाब पहनकर बड़ी संख्या में महिलाएं इसमें शामिल हुईं। और जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला। इस प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि अगर हिंदू महिलाएं मंगलसूत्र, सिंदूर और बिंदी लगाकर पढ़ने जा सकती हैं तो मुस्लिम लड़कियां अपने धर्म का पालन क्यों नहीं कर सकती? वहीं प्रदर्शन में शामिल मौलाना मुफ्ती मो. इस्माइल ने कानून और धर्म पर उपदेश देते हुे कहा कि मुस्लिम महिलाओं से उनका हक कोई नहीं छीन सकता। भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देता है।
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धारा 144 लागू
बता दें कि बुलढाणा में आंदोलन की आशंका के चलते जिला प्रशासन ने धारा 144 लगा दी है। कलेक्टर के अगले आदेश तक धारा 144 जारी रहेगा। वहीं पुणे में मुस्लिम महिलाओं के साथ एनीसीपी ने भी प्रोस्टेट किया था। इसके विरोध में हिंदू महिलाओं ने भगवा साड़ी पहनकर सड़कों पर मार्च निकाला था। जिसके बाद यह विवाद बढ़ता जा रहा है।
क्या है हिजाब विवाद
कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वालीं लड़कियों को कॉलेज में एंट्री नहीं दी जा रही है। वहीं, हिजाब के जवाब में हिंदू लड़कियां केसरिया दुपट्टा पहनकर आने लगी हैं। विवाद की शुरुआत उडुपी के एक कॉलेज से हुई थी, जहां जनवरी में हिजाब पर बैन लगा दिया था। इस मामले के बाद उडुपी के ही भंडारकर कॉलेज में भी ऐसा ही किया गया। अब यह बैन शिवमोगा जिले के भद्रवती कॉलेज से लेकर तमाम कॉलेज तक फैल गया है। इस मामले को लेकर रेशम फारूक नाम की एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि हिजाब पहनने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन है। गुरुवार को भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कॉलेज के प्रिंसिपल ने अंदर नहीं आने दिया था। उनका तर्क था कि शासन के आदेश व कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आना होगा। जबकि छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब पहनकर ही कॉलेज आती रही हैं।
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