
मुंबई: महाराष्ट्र के मंत्री अशोक चव्हाण के नेतृत्व वाली कैबिनेट की उप समिति की शनिवार को वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के साथ बैठक हुई जिसमें 17 मार्च को उच्चतम न्यायालय की सुनवाई से पहले मराठा आरक्षण पर चर्चा हुई। भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल रोहतगी और अन्य वरिष्ठ वकील उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
चव्हाण ने कहा कि उप समिति ने तैयारियों का जायजा लिया ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि समुदाय को दिया जाने वाला आरक्षण बरकरार रहे। कांग्रेस नेता चव्हाण ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने अच्छे और वरिष्ठ वकीलों की टीम बनाई है जिसमें रोहतगी एवं अन्य शामिल हैं। हमने बैठक की ताकि सुनिश्चित कर सकें कि तैयारियां अच्छी हैं और उच्चतम न्यायालय में यह बरकरार रहे। हमें विश्वास है कि सरकार की स्थिति मजबूत है।’’
सुनवाई के दौरान कोई खामी नहीं रहे
राज्य के एक अन्य मंत्री एवं शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि बैठक के माध्यम से सरकार सुनिश्चित कर रही है कि उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान कोई खामी नहीं रहे। महाराष्ट्र की विधानसभा ने 29 नवम्बर 2018 को एक विधेयक पारित कर मराठा समुदाय को शिक्षण संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) के तहत 16 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी थी।
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने एक दिन बाद विधेयक को मंजूरी दी और उस पर हस्ताक्षर किए थे। बंबई उच्च न्यायालय ने जून 2019 में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की संवैधानिक वैधता को मान्यता दी थी।
आरक्षण देने के सरकार के निर्णय को बाद में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
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