नासिक जिले के इगतपुरी इलाके में रहने वाले आदिवासी समुदाय दशकों से एक बाघ (tiger)परिवार को भगवान के रूप में पूजते हैं। ताकि पास के जंगल में रहने वाले बाघों से उनकी रक्षा हो सके। जिससे वह इंसानों या खेत जानवरों पर हमला न करें।
नासिक (महाराष्ट्र). गलती अगर किसी का सामना बाघ (tiger) से हो जाए तो सोचिए उस पर क्या बीतेगी। लेकिन महाराष्ट्र (maharashtras) के नासिक में आदिवासी परिवार (tribal communities) काफी समय पहले से बाध को अपना आराध्य देव के रूप में पूजते आ रहे हैं। वह भगवान के रुप में उसकी पूजा करते हैं। इतना ही नहीं उनके मंदिर बने हुए और प्रतिमा स्थापित की गई है।
इस उद्देशय से की जाती है बाघों की पूजा
दरअसल, नासिक जिले के इगतपुरी इलाके में रहने वाले आदिवासी समुदाय दशकों से एक बाघ परिवार को भगवान के रूप में पूजते हैं। ताकि पास के जंगल में रहने वाले बाघों से उनकी रक्षा हो सके। जिससे वह इंसानों या खेत जानवरों पर हमला न करें।
मंदिर में रखी हैं एक बाघ और शावक की मूर्ति
इस मामले पर जानकारी देते हुए एक आदिवासी युवक ने बताया कि यहां पर दशकों से हिल स्टेशन पर बाघों का मंदिर है। "मंदिर की मूर्तियों में एक बाघ और एक शावक शामिल हैं। आदिवासी लोग पारंपरिक रूप से बाघों की पूजा करते हैं। साल में एक बार यहां मेला भी लगता है। हर तीज त्यौहारों पर इनको पूजा जाता है।
10 बार बाघों से हुआ सामना..लेकिन कुछ नहीं किया
वहीं दूसरे आदिवासी युकक ने कहा- हम अपनी और अपने परिवार की रक्षा के लिए वाघोबा की पूजा करते हैं। मेरा अपने जीवन में लगभग 10 मौकों पर बाघों से सामना हुआ। लेकिन उन्होंने मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया क्योंकि मैं उनकी पूजा करता हूं। एक अन्य स्थानीय जनजाति के सदस्य ने कहा कि मंदिर मनुष्यों और जानवरों के बीच सद्भाव का प्रतीक है।