रेलवे प्लेटफॉर्म पर दौड़ा दिया ऑटो, सजा मिलने पर भी खुश है ड्राइवर

एक गर्भवती महिला हॉस्पिटल जाने के लिए ट्रेन में बैठी थी। लेकिन भारी बारिश के कारण ट्रेन चल नहीं सकी। काफी देर तक इंतजार करते हुए अचानक उसे लेबर पेन हो उठा था। ऐसे में एक ऑटो ड्राइवर ने जोखिम उठाया और अपना ऑटो ट्रेन तक लेकर गया। हालांकि बाद में उसे इसकी सजा भी भुगतनी पड़ी।

Asianet News Hindi | Published : Aug 6, 2019 6:04 AM IST / Updated: Aug 06 2019, 01:46 PM IST

मुंबई. किसी की जान बचाने के बाद जो खुशी मिलती है, वो बयां नहीं की जा सकती। ऐसी ही एक घटना मुंबई के विरार रेलवे स्टेशन पर रविवार सुबह करीब 9 बजे देखने को मिली। इस घटना का CCTV फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। विरार के प्लेटफॉर्म नंबर-2 पर अचानक एक ऑटो रिक्शा को दौड़ते देखकर वहां मौजूद यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। लोगों ने देखा कि ऑटो वाला हॉर्न बजाते हुए तेजी से वहां काफी देर से खड़ी एक ट्रेन की ओर आ रहा है। बाद में मालूम चला कि ऑटोवाला ट्रेन चलने के इंतजार में बैठी एक गर्भवती महिला को लेने आया था। महिला हॉस्पिटल जाने के लिए ट्रेन में बैठी थी, लेकिन अचानक उसे लेबर पेन होने लगा था। तब ऑटोवाले से मदद मांगी गई थी।

दिव्यांग थी गर्भवती
यह ऑटो सागर गावड(34) चला रहा था। सागर विरार(वेस्ट) के डोंगरपाड़ा इलाके में रहते हैं। वे विरार स्टेशन के वेस्ट में अपना ऑटो खड़ा करते हैं। दरअसल, जहां प्लेटफॉर्म खत्म होता है, वहां से ऑटो स्टैंड शुरू हो जाता है। गर्भवती महिला दिव्यांगों वाले कोच में बैठी थी। साथ में उसका पति भी था। वो पत्नी को संजीवनी हॉस्पिटल में भर्ती कराने ले जा रहा था। लेकिन भारी बारिश के चलते वसई और विरार के बीच चलने वालीं सभी ट्रेनें रद्द कर दी गई थीं। लिहाजा प्लेटफॉर्म पर कुछ यात्री ही थे। जब ट्रेन नहीं चली, तो महिला के पति ने सागर से मदद मांगी। 

गिरफ्तारी के बाद भी ड्राइवर खुश
सागर को इस घटना के बाद सोमवार को अरेस्ट कर लिया गया। हालांकि बाद में जमानत दे दी गई। इसके बाद भी सागर खुश हैं। वे बताते हैं कि मुझे महिला की मदद करके अच्छा लगा। महिला ने हॉस्पिटल में प्रीमैच्योर बच्ची को जन्म दिया। सागर ने उसे किराया भी नहीं लिया। आरपीएफ इंस्पेक्टर प्रवीण यादव ने कहा कि सागर ने वाकई में बहुत अच्छा काम किया, लेकिन है तो यह नियमों के खिलाफ। लिहाजा उसे गिरफ्तार करना पड़ा। गर्भवती महिला के पति को रेलवे स्टाफ से मदद मांगनी थी।

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