चुनाव से पहले बढ़ी फडणवीस की मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दो मामलों में केस

Published : Oct 01, 2019, 12:21 PM ISTUpdated : Oct 01, 2019, 12:44 PM IST
चुनाव से पहले बढ़ी फडणवीस की मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दो मामलों में केस

सार

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। झूठा हलफ़नामा दाखिल करने के मामले में फडणवीस को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। फडणवीस पर चुनावी हलफनामें में दो अपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने के आरोप लगे हैं। जिस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है।

मुंबई. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। झूठा हलफ़नामा दाखिल करने के मामले में फडणवीस को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। फडणवीस पर चुनावी हलफनामें में दो अपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने के आरोप लगे हैं। जिस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है।

जनप्रतिनिधि नियम के तहत मुकदमा चलाने के भी आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए फणनवीस पर जनप्रतिनिधि नियम के तहत मुकदमा चलाने के भी आदेश दिए गए हैं। फडणवीस के खिलाफ दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने के आरोप हैं। जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के तहत उन पर मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।

सतीश उके द्वारा दायर याचिका पर आएगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगा। जिसमें ट्रायल कोर्ट ने अपने चुनावी हलफनामे में संज्ञान लिया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ सतीश उके द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाएगी।

23 जुलाई को शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि फडणवीस द्वारा 2014 के विधानसभा चुनावों में अपने चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी न देना भारी पड़ सकता है। कोर्ट ने कहा यह मामला एक सीमित मुद्दे से संबंधित था कि जिसमें यह देखना था कि यह अधिनियम की धारा 125 ए के अंनर्तगत आता है या नहीं?

झूठा हलफनामा दाखिल करने पर हो सकता है 6 महीने की जेल और जुर्माना

आपको बता दें कि जनप्रतिनिधि (आरपी) अधिनियम के मुताबिक "झूठा हलफनामा दाखिल करने" पर दंड और जुर्माने का प्रावधान है। यदि कोई उम्मीदवार चुनाव में झूठा हलफनामा दाखिल करता है या लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाता है तो छह महीने जेल की सजा या जुर्माना दोनों हो सकते हैं। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि, सूचना के कथित दुरुपयोग के लिए नामांकन पत्रों को रद्द करने का समय  समाप्त हो गया था अब सवाल केवल यह था कि क्या कानून के तहत फणनवीस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करके सही किया।

कोर्ट ने कहा कि, "फडणवीस को अपने ऊपर लगे आरोपों और लंबित मामलों का खुलासा करना चाहिए था लेकिन वह दो मामलों की जानकारी नहीं दे पाए। "

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