उद्धव ठाकरे बोले- संजय राउत पर गर्व है, मरना मंजूर, लेकिन शरण में नहीं जाऊंगा

शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे संजय राउत पर गर्व है। बीजेपी उन लोगों को मिटाने की कोशिश कर रही है जो उनके खिलाफ बोलते हैं। वक्त हमेशा बदलता रहता है। जब हमारा वक्त आएगा तब सोचिएगा आपका क्या होगा। 

मुंबई। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि मुझे संजय राउत पर गर्व है। संजय राउत असली शिवसैनिक हैं। शिवसैनिक कभी झुकता नहीं है। जो झुकने वाले थे, वे चले गए। ईडी द्वारा संजय राउत की गिरफ्तारी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्धव ठाकरे ने यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी उन लोगों को मिटाने की कोशिश कर रही है जो उनके खिलाफ बोलते हैं। 

उद्धव ने कहा कि वक्त हमेशा बदलता रहता है। जब हमारा वक्त आएगा तब सोचिएगा आपका क्या होगा। आज विरोधियों को बोलने नहीं दिया जा रहा है। जो बोलता है उसे जेल भेजा जा रहा है। दिन बदलते रहते हैं। आप आपका वक्त है। कल हमारा समय आएगा। ऐसे लोगों के बुरे दिन जरूर आएंगे। आज जैसा बुरा बर्ताव आप दूसरे लोगों के साथ कर रहे हैं, जनता उससे बुरा बर्ताव आपके साथ करेगी।  

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उन्होंने कहा कि बीजेपी हिंदुत्ववादी पार्टी को खत्म करने की कोशिश कर रही है। मुझे मरना मंजूर है, लेकिन शरण में नहीं जाऊंगा। अब महाराष्ट्र की जनता फैसला करेगी। संविधान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। बीजेपी के खिलाफ बोलने पर मिटाने की कोशिश हुई। जो मेरे साथ हैं वो दगाबाजी नहीं कर सकते।

बुद्धि के बदले हो रहा बल प्रयोग
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भाषण का जिक्र करते हुए उद्धव ने कहा कि उनके भाषण में क्या प्रजातंत्र दिखाई देता है? सिर्फ उनकी ही पार्टी रहेगी। अन्य सभी पार्टियां नहीं रहेंगी। यह लोकतंत्र नहीं है। लोकतंत्र को शतरंज या बुद्धि का खेल कहा जाता है। भाजपा जो कर रही है उसमें बुद्धि का कोई ठिकाना नहीं है। सिर्फ बल प्रयोग हो रहा है। अगर आपका यही तरीका रहता है तो याद रखिए जमाना एक जैसा नहीं रहता। अच्छे दिन, बुरे दिन आते रहते हैं। आपके जो विचार हैं, जनता के सामने लेकर आईए। हम अपनी सोच जनता के सामने रख रहे हैं। इसे प्रजातंत्र कहते हैं। अगर आप ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई का इस्तेमाल करते हैं तो प्रजातंत्र कहां रहा। 

हिटलर का उदाहरण देकर बताया तानाशाह 
उद्धव ठाकरे ने हिटलर का उदाहरण देकर बीजेपी को तानाशाह बताया। उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी कार्टूनिस्ट थे। उन्होंने प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट डेविड लो का उदाहरण मुझे बताया था। दूसरे विश्व युद्ध के समय एक वक्त ऐसा था जब लग रहा था कि हिटलर की जीत होगी। वह दुनिया पर राज करेगा। हिटलर बम गिराता था और डेविड लो कार्टून बनाते थे। उनके कार्टून का असर हिटलर के बम गिराने से अधिक होता था। इससे हिटलर परेशान हो गया था और अपने गुलामों से कहा था कि कार्टून बनाने वाला यह व्यक्ति कहां है। इसे जिंदा या मुर्दा किसी भी हालत में लाओ। तानाशाही में गुलाम जब तक काम के होते हैं तब तक उनका इस्तेमाल किया जाता है काम होने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है।

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