‘नास्तिकता के कथित प्रचार’ को लेकर वारकरियों के एक संगठन द्वारा शरद पवार की आलोचना करने और समुदाय से उन्हें धार्मिक कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित नहीं करने की अपील करने के बाद राकांपा प्रमुख ने शनिवार को पलटवार किया और कहा कि मंदिरों में जाने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
पुणे. ‘नास्तिकता के कथित प्रचार’ को लेकर वारकरियों के एक संगठन द्वारा शरद पवार की आलोचना करने और समुदाय से उन्हें धार्मिक कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित नहीं करने की अपील करने के बाद राकांपा प्रमुख ने शनिवार को पलटवार किया और कहा कि मंदिरों में जाने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
वारकरी समुदाय शरद पवार का कर रही है विरोध
राष्ट्रीय वारकरी परिषद ने हाल ही एक बयान जारी कर समुदाय से आज के ‘नास्तिकतावादी शासकों’ को धार्मिक कार्यक्रमों या उद्घाटन जैसे कार्यक्रमों या व्याख्यान के लिए आमंत्रित करना बंद करने की अपील की थी। परिषद ने कहा था, ‘‘ माननीय शरद पवार साहब कहते हैं कि ‘रामायण’ की कोई जरूरत नहीं है। वह उन लोगों का समर्थन करते हैं जो देवताओं, संतों और हिंदू धर्म का अपमान करने में शामिल हैं.... इसलिए वारकरियों को भविष्य में सावधान रहना चाहिए और हमेशा यह स्मरण रखना चाहिए कि पहले वे हिंदू हैं।’’
किसी से भी मंदिर जाने के लिए अनुमति लेने की जरुरत नहीं-पवार
पुणे जिले के लोकप्रिय तीर्थस्थल आलंदी में एक जनसभा में पवार ने कहा कि पंढरपुर में भगवान विट्ठल के मंदिर में जाने और प्रार्थना करने के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि आप भगवान विट्ठल की पूजा करना चाहते हैं तो आप पंढरपुर जाते हैं। यदि आप संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम की पूजा करना चाहते हैं तो आप क्रमश: आलंदी और देहू जाते हैं। इन स्थानों पर जाने के लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए, यदि कोई कहता है कि आपको इन स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं है तो मैं समझता हूं कि उन्हें वारकरी संप्रदाय के चिंतन की समझ नहीं है।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘ एक सच्चा वारकरी कभी ऐसा रुख नहीं अपनाएगा। मैं समझता हूं कि हमें ऐसी चीजें की अनदेखी करनी चाहिए और अपनी पसंद को मानना चाहिए।’’
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)