
Major Hospital Fire Incidents in India: रविवार, 5 अक्टूबर की देर रात जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर ICU में लगी आग ने अस्पताल को श्मशान बना दिया। कुछ ही मिनटों में ही धुएं और आग ने आईसीयू में पड़े 11 गंभीर मरीजों की जान को खतरे में डाल दिया। इस हादसे में 8 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं। शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को आग लगने का संभावित कारण माना जा रहा है। इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है। आए दिन किसी न किसी अस्पताल में आग लगने की घटनाएं सुनने को मिलती रहती हैं, जिससे हेल्थकेयर सिक्योरिटी और हॉस्पिटल सेफ्टी नियमों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आइए जानते हैं देश के 10 सबसे खतरनाक अस्पताल आग हादसे, उनके कारण, मौतों की संख्या और सुरक्षा खामियां...
कोलकाता के AMRI हॉस्पिटल में 2011 में लगी आग अब तक के सबसे घातक अस्पताल हादसों में शामिल है। इस आग में 89 लोग अपनी जान गंवा बैठे। शुरुआती जांच में पता चला कि बेसमेंट में शॉर्ट सर्किट हुआ था और वहां अवैध रूप से ज्वलनशील सामग्री जमा थी। आग और धुआं इतनी तेजी से फैल गए कि एयर कंडीशनिंग डक्ट के माध्यम से अस्पताल के अन्य हिस्सों तक पहुंचा। सबसे खतरनाक यह था कि अस्पताल का फायर अलार्म और डिटेक्शन सिस्टम बंद था, जिससे बचाव और रेस्क्यू में काफी देरी हुई।
महाराष्ट्र के विरार में विजय वल्लभ कोविड केयर अस्पताल में 2021 में लगी आग ने कम से कम 13 मरीजों की जान ले ली। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण बताया गया। इसके अलावा, इमरजेंसी एग्जिट ढूंढना मुश्किल था, जिससे बचाव कार्य में और समय लगा।
अहमदनगर के डिला अस्पताल में ICU में आग लगी, जिसमें 11 COVID-19 मरीजों की मौत हुई। आग के कारण शॉर्ट सर्किट और फायर अलार्म की अनुपस्थिति बताई गई। पुराने उपकरण और खराब सुरक्षा व्यवस्था ने ट्रैजेडी को और बढ़ा दिया।
उत्तर प्रदेश के झांसी जिला अस्पताल (Jhansi District Hospital) में नवजात वार्ड में लगी आग में कम से कम 10 नवजातों की जान चली गई। धुआं तेजी से फैलने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन प्रभावित हुआ और बच्चों को सुरक्षित निकालना मुश्किल हो गया।
जयपुर के SMS हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर ICU में लगी आग ने 8 मरीजों की जानें ले ली। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण बताया गया। परिवारों ने अस्पताल की लापरवाही और धीमी प्रतिक्रिया की शिकायत की, जिससे बचाव कार्य प्रभावित हुआ।
अहमदाबाद के श्रेय हॉस्पिटल में ICU के मरीज मॉनिटर में शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे 8 लोगों की मौत हुई। अस्पताल में पर्याप्त फायर एग्जिट नहीं थे और उपकरण उनकी उम्र से काफी पुराने यानी पहले ही एक्सपायर हो चुके थे।
दिल्ली के बेबी केयर न्यू बॉर्न हॉस्पिटल में लगी आग में 6 नवजात बच्चों की मौत हुई। जांच में पाया गया कि अस्पताल की क्षमता अनुमत सीमा से दोगुनी थी और फायर सेफ्टी उपकरण की कमी थी। इसके अलावा, आग की जांच में यह भी पता चला कि ऑक्सीजन सिलेंडर का अवैध भंडारण था।
भोपाल के न्यू लाइफ हॉस्पिटल में 2022 में आग लगी, जिसमें 8 मरीजों की मौत हुई। इसका कारण इलेक्ट्रिक जनरेटर का बहुत ज्यादा हीट होना था। अस्पताल में खराब वेंटिलेशन और अपर्याप्त इमरजेंसी एग्जिट थे। कंपनी की सुरक्षा चेतावनी को अनदेखा किया गया।
गुजरात के उदय शिवानंद कोविड-19 अस्पताल में आग के कारण 5 लोगों की मौत हुई। अस्पताल की इमरजेंसी एग्जिट ब्लॉक थी और प्रबंधन ने सुरक्षा गाइडलाइन की अनदेखी की।
भोपाल के जिला अस्पताल (Bhopal District Hospital) में 2021 में न्यू बॉर्न यूनिट में आग लगी, जिसमें 4 नवजातों की मौत हुई। इस घटना में अस्पताल की फायर सेफ्टी और सुरक्षा तैयारी की गंभीर कमियों को उजागर हुईं।
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