यह हैं भारत-पाकिस्तान जंग के हीरो, 21 साल की उम्र में तोड़ दी थी दुश्मन की कमर

आज यानी 14 अक्टूबर को उस वीर जवान की जयंती है जिसने दुश्मनों का डट कर सामना किया और वतन की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेत्ररपाल वो वीर जवान थे जिन्होंने पाकिस्तान से साल 1971 में हुए युद्ध में देश के लिए योदान दिया था।

मुंबई. आज यानी 14 अक्टूबर को उस वीर जवान की जयंती है जिसने दुश्मनों का डट कर सामना किया और वतन की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेत्ररपाल वो वीर जवान थे जिन्होंने पाकिस्तान से साल 1971 में हुए युद्ध में देश के लिए योदान दिया था। अरुण ने लड़ाई में पंजाब-जम्मू सेक्टर के शकरगढ़ में शत्रु सेना के 10 टैंक नष्ट किए थे। और महज 21 वर्ष की आयु में वे वीरगति को प्राप्त हो गए थे। दुश्मन के सामने बहादुरी के लिए भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र मरणोपरान्त प्रदान किया गया था। 

रेडियो पर मिल रही थी भारत विजयी की जानकारी
अरुण खेत्रपाल की मां ने एक बार बताया था कि उन्हें लड़ाई में अरुण की बहादुरी के बारे में जानकारी मिल रही थी। आकाशवाणी ने 16 दिसंबर, 1971 को जंग में भारत की विजय की जानकारी देश को दी। बाकी देश की तरह खेत्रपाल परिवार भी खुश था। लेकिन तभी परिवार को पता चला कि अरुण अब कभी घर नहीं आएंगे। वह पाक सेना से लोहा लेते हुए 16 दिसंबर, 1971 को वीरगति को प्राप्त हुए थे। 

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ग्राउंड का नाम खेत्रपाल ग्राउंड रखा  
उनके सम्मान में एनडीए के परेड ग्राउंड का नाम खेत्रपाल ग्राउंड रखा गया है। इंडियन मिलिट्री अकैडमी में एक ऑडिटोरियम और गेट्स उनके नाम पर है। खेत्रपाल ऑडिटोरियम का निर्माण 1982 में हुआ था। यह उत्तरी भारत के सबसे बड़े ऑडिटोरियम में से एक है। यहां अरुण खेत्रपाल की प्रतिमा और उनके बहादुरी भरे कारनामों का शिलालेख पर उल्लेख है।

पुणे में हुआ था खेत्ररपाल का जन्म
अरुण खेत्ररपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल (बाद में ब्रिगेडियर) एम एल खेत्ररपाल भारतीय सेना में कोर ऑफ इंजीनियर्स अधिकारी थे। लॉरेंस स्कूल सनवार में जाने के बाद उन्होंने खुद को एक सक्षम छात्र और खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया था। खेत्ररपाल जून 1967 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हुए। वह फॉक्सट्रॉट स्क्वाड्रन से संबंधित थे जहां वह 38वें पाठ्यक्रम के स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन थे। वह बाद में भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल हो गए। 13 जून 1971 में खेतपाल को 17 पूना हार्स में नियुक्त किया गया था।

खेत्ररपाल ने अपना सैन्य जीवन 13 जून 1971 को शुरू किया था और 16 दिसम्बर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 17 पूना हार्स को भारतीय सेना के 47वीं इन्फैन्ट्री ब्रिगेड की कमान के अंतर्गत नियुक्त किया गया था। संघर्ष की अवधि के दौरान 47वीं ब्रिगेड शकगढ़ सेक्टर में ही तैनात थी। 6 माह के अल्प सैन्य जीवन में ही इन्होने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

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