निर्भया केस; सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज की, कहा, इसमें कोई नया तथ्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को निर्भया केस में चौथे दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हो रही है। जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना इस मामले में सुनवाई कर रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 18, 2019 5:28 AM IST / Updated: Dec 18 2019, 01:34 PM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्भया केस में चौथे दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि दोषी की पुनर्विचार याचिका में कुछ भी नया नहीं है। ये दलीलें पहले भी दी जा चुकी हैं। कोर्ट ने जब तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। तब भी ये बातें कही गईं थीं।

अपडेट्स: 

- जस्टिस भानुमति ने कहा- आप ठोस व कानूनी तथ्य रखें और बताए कि हमारे फैसले में क्या कमी थी और क्यों हमे पुनर्विचार करने चाहिए।

- निर्भया के हत्यारे अक्षय की पुनर्विचार याचिका का सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया। उन्होंने कहा, ऐसे राक्षसों को पैदा कर ईश्वर भी शर्मसार होता होगा। इनसे कोई रहम नहीं होनी चाहिए।

- वकील ने कहा- महात्मा गांधी ने भी कहा था कि मौत की सजा उचित समाधान नहीं है। अपराधियों को पुनर्वास का मौका मिलना चाहिए। गरीब लोग अपने लिए कानूनी उपाय सही से नहीं कर पाते, इसलिए उन्हें मौत की सजा दी जाती है। 

- वकील ने कहा- मौत की सजा मानवाधिकारों का उल्लंघन है। और ये भारत विरोधी संस्कृति का लक्षण है। हम दिल्ली में रहते हैं जो प्रदूषण की वजह से वैसे ही गैस चैम्बर बन चुकी है। जिससे लोग मर रहे हैं तो मौत की सजा क्यों?

वकील ए पी सिंह ने अपनी दलील में कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते है जबकि दूसरे युग में और ज्यादा जीते थे। दिल्ली में वायु प्रदूषण और पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है, ऐसे में फांसी की सजा क्यों?

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम लेखक की बातों पर नहीं जाना चाहते। ये एक खतरनाक ट्रेंड होगा अगर लोगों ने ट्रायल के बाद किताबें लिखना शुरू कर दिया तो ये सही नहीं होगा। इस बहस का कोई अंत न होगा अगर कोर्ट ऐसी बातों पर ध्यान देने लगेगी। 

ए पी सिंह ने तिहाड़ के पूर्व जेल अधिकारी सुनील गुप्ता की किताब का जिक्र किया। जिसमें इस बात की संभावना व्यक्त की गई है कि राम सिंह की जेल में हत्या की गई थी। ये नए तथ्य हैं, जिन पर कोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए। 

- एपी सिंह ने कहा कि पीड़िता का दोस्त मीडिया से पैसे लेकर इंटरव्यू दे रहा था। वो विश्वसनीय गवाह नहीं था। जस्टिस भूषण ने कहा कि इसका इस मामले से क्या संबंध है। वकील ने कहा, वो लड़का इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह था। उसकी गवाही मायने रखती है।

- ए पी सिंह ने रेयान इंटरनेशनल केस में स्कूल छात्र की हत्या का उदाहरण दिया। कहा- इस मामले मैं बेकसूर को फंसा दिया था। अगर सीबीआई की तफ्तीश नहीं होती तो सच सामने नहीं आता। इसलिए हमने इस केस मे भी CBI जैसी एंजेसी जैसे जांच की मांग की थी। 

- बेंच ने अक्षय के वकील को आधे घंटे का वक्त दिया।

2012 में निर्भया के साथ हुई थी दरिंदगी
दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से 6 लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गई थी।

तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका हो चुकी खारिज
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 5 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। एक नाबालिग था, जो अभी सुधार गृह में है। जबकि एक दोषी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका पहले ही खारिज कर चुका है। अब एक बचे हुए दोषी अक्षय की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई।

अक्षय की याचिका में वेद पुराण से लेकर गांधी की बातों तक का था जिक्र
- याचिका में कहा गया था- दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर बन गया है। यहां वायु की गुणवत्ता बेहद खराब है। केंद्र सरकार ने भी इसकी पुष्टि की है। जिंदगी वैसे ही कम हो रही है। फिर मौत की सजा क्यों?

- वेद, पुराणों और उपनिषदों का जिक्र करते हुए अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में दलील दी है कि युगों के साथ लोगों की उम्र घट रही है। यह एक कड़वी सच्चाई है कि आजकल के खराब हालात में इंसान एक लाश से ज्यादा कुछ नहीं।

- याचिका में गांधी जी का भी जिक्र था। इसमें कहा गया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे कि अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के बारे में भी सोचें। साथ ही कहा गया है कि सजा-ए-मौत का मतलब न्याय के नाम पर एक व्यक्ति को साजिश के तहत मार डालना।

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