धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आ रहा बदलाव, केंद्र सरकार ने बताया कितने बाहरी लोगों ने खरीदी जमीन

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से अब तक राज्य में बाहर के 34 लोगों ने संपत्ति खरीदी है। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी दी। घाटी में बाहरी लोग सिर्फ गैर कृषि जमीन खरीद सकते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 29, 2022 12:14 PM IST / Updated: Mar 29 2022, 05:49 PM IST

नई दिल्ली। धारा 370 (Article 370) हटने के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में बदलाव आ रहा है। राज्य में निवेश बढ़ा है। देश-विदेश से लोग जाकर वहां निवेश कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद से देश के दूसरे राज्यों के 34 लोगों ने घाटी में संपत्ति खरीदी है। 

केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को संसद में अपने लिखित जवाब में यह जानकारी दी। मंत्री ने संपत्तियों का विवरण नहीं दिया और न उसके मालिकों के बारे में बताया। केंद्र ने पिछले साल कहा था कि दो बाहरी लोगों ने इस क्षेत्र में जमीन खरीदी है। अगस्त 2019 में क्षेत्र की विशेष स्थिति को निरस्त करने से पहले गैर-निवासियों को जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्य में अचल संपत्ति खरीदने से रोक दिया गया था।

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पहले बाहरी लोग नहीं खरीद सकते थे जमीन
धारा 370 हटाने के बाद केंद्र ने भूमि नियमों को बदल दिया और जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से "राज्य के स्थायी निवासी" वाक्यांश को हटा दिया। यह बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदने का मार्ग प्रशस्त करने से संबंधित है। अब उन लोगों को भी गैर-कृषि जमीन बेची जा सकती है जो राज्य के स्थायी निवासी नहीं हैं। 

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अक्टूबर 2020 में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि संशोधनों ने गैर-कृषकों को कृषि भूमि के हस्तांतरण की अनुमति नहीं दी। शिक्षा या स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना सहित गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए कृषि भूमि के हस्तांतरण को सक्षम करने वाली छूट भी हैं। सिन्हा ने कहा था कि कृषि भूमि किसानों के लिए आरक्षित की गई है और कोई बाहरी व्यक्ति इसमें नहीं आने वाला है। हम औद्योगिक क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं और हम निश्चित रूप से चाहते हैं कि देश के अन्य राज्यों की तरह उद्योग भी यहां आएं ताकि इस जगह का विकास हो और युवाओं को रोजगार मिले। 

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में भूमि कानून में बदलाव पर खूब राजनीति हुई थी। नेताओं ने इसके विरोध में बयानबाजी की थी। कहा था कि जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को बसाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों को नुकसान होगा।

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