कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। दिल्ली में लाल किला पर उपद्रव हुआ। दिल्ली पुलिस ने कई किसान नेताओं पर एफआईआर भी दर्ज की। इस बीच चार किसान यूनियनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। दिल्ली में लाल किला पर उपद्रव हुआ। दिल्ली पुलिस ने कई किसान नेताओं पर एफआईआर भी दर्ज की। इस बीच चार किसान यूनियनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है।
बुधवार को राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने गणतंत्र दिवस की झड़पों का हवाला देते हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन का विरोध किया। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने कहा कि उनका संगठन चल रहे आंदोलन से अलग हो रहा है। वीएम सिंह ने गाजीपुर सीमा पर कहा, हम अपना आंदोलन बंद कर रहे हैं लेकिन किसानों के अधिकारों के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
किसानों के हटने के बाद आंदोलन स्थल की तस्वीर
भारतीय किसान यूनियन (भानू) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि वह भी विरोध प्रदर्शन से पीछे हट रहे हैं और दिल्ली में हिंसा को देखकर आहत हैं। उन्होंने मीडिया से कहा, दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उससे मैं बहुत आहत हूं और 58 दिन का विरोध खत्म कर रहा हूं।
बीकेयू (भानु) ने अपना विरोध वापस लेते हुए दिल्ली-नोएडा लिंक रोड वाया चीला बॉर्डर पर 57 दिन बाद यातायात फिर से खोल दिया।
गुरुवार को दो किसान दलों किसान महापंचायत और बीकेयू (लोक शक्ति) ने भी किसानों के विरोध का समर्थन वापस ले लिया। बीकेयू (लोक शक्ति) के प्रवक्ता शैलेश कुमार गिरि ने कहा, विरोध प्रदर्शन खत्म कर रहे हैं। बीकेयू (एकता) और बीकेयू (लोक शक्ति) के नेताओं ने गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से भी मुलाकात की और उन्हें इस बात की जानकारी दी कि वे आंदोलन से अलग हो रहे हैं।