दिल्ली हिंसा: 7 आरोपियों को जमानत, वकील ने दी थी झूठे आरोप की दलील

दिल्ली कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुई सांप्रदायिक हिंसा  में गिरफ्तार किये गए 7 आरोपियों को जमानत दे दी गई। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौड़ ने मोहम्मद अकरम, शाकिर, दिलशाद, जाकिब, भूरे खान, रजी और शब्बीर को 20-20 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी।

Asianet News Hindi | Published : Mar 26, 2020 3:04 PM IST / Updated: Mar 26 2020, 08:35 PM IST

नई दिल्ली. दिल्ली कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुई सांप्रदायिक हिंसा  में गिरफ्तार किये गए 7 आरोपियों को जमानत दे दी गई। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौड़ ने मोहम्मद अकरम, शाकिर, दिलशाद, जाकिब, भूरे खान, रजी और शब्बीर को 20-20 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी।

- सुनवाई के दौरान पुलिस ने जमानत याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया कि मामले की जांच शुरुआती चरण में है और उनपर लगे आरोप संगीन हैं।

झूठे आरोप की दलील दी गई

आरोपियों के वकील अब्दुल गफ्फार ने दलील दी कि गिरफ्तार किये गए इन सात लोगों पर लगे आरोप झूठे हैं और उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जैसा कि पुलिस दावा कर रही है।

दिल्ली हिंसा में 47 लोगों की मौत हो गई थी

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में 23 फरवरी (रविवार) की शाम से हिंसा की शुरुआत हुई। इसके बाद 24 फरवरी पूरे दिन और 25 फरवरी की शाम तक आगजनी, पत्थरबाजी और हत्या की खबरें आती रहीं। हिंसा में 47 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में एक हेड कॉन्स्टेबल और एक आईबी का कर्मचारी भी शामिल है।

दिल्ली में कैसे शुरू हुई थी हिंसा?

सीएए के विरोध में शाहीन बाग में करीब 2 महीने से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। 23 फरवरी (रविवार) की सुबह कुछ महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने लगीं। दोपहर होते-होते मौजपुर में भी कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। शाम को भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि दिल्ली में दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे। कपिल मिश्रा भी अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतर आए, जिसके बाद मौजपुर चौराहे पर दोनों तरफ से ट्रैफिक जाम हो गया। इसी दौरान सीएए का समर्थन और विरोध करने वालों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई। यहीं से विवाद ऐसा बढ़ा कि तीन दिन तक जारी रहा।

Share this article
click me!