कोरोना वैक्सीन को लेकर रोज ही दिल्ली सहित कई राज्य बयानबाजियां करते आ रहे हैं। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस शासित राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ के अलावा उसके समर्थनवाले राज्य महाराष्ट्र और झारखंड सहित 9 राज्य वैक्सीनेशन को लेकर बेहद लापरवाह साबित हुए हैं। ये राज्य केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई वैक्सीन का पूरा उपयोग तक नहीं कर सके हैं। इनके पास अब भी बड़ी मात्रा में डोज उपलब्ध हैं।
नई दिल्ली. देश में कोरोना संकट के बीच वैक्सीन को लेकर हायतौबा मची हुई है। कई राज्य केंद्र पर कम वैक्सीन देने या समय पर डोज उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाते आ रहे हैं, लेकिन इसके उलट 9 राज्यों का आंकड़ा सामने आया है, जो केंद्र से मिली वैक्सीन का पूरा उपयोग तक नहीं कर पाए हैं। इनमें कांग्रेस शासित राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
9 राज्यों की वजह से वैक्सीनेशन अभियान सुस्त
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की 24.60 करोड़ से ज़्यादा डोज़ उपलब्ध कराई गई हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी वैक्सीन की 1.49 करोड़ से ज़्यादा डोज़ उपलब्ध हैं। अगर 9 राज्यों की ही बात करें, तो जनवरी से मार्च के बीच जो वैक्सीन उपलब्ध कराई गई, वे उसका पूरा उपयोग तक नहीं कर पाए हैं। वैक्सीनेशन अभियान की सुस्त गति के लिए इन राज्यों को दोषी माना जा सकता है। इन राज्यों को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराई गई, फिर क्या वजह रही कि वे इनका सदुपयोग नहीं कर पाए? यह सवाल उठना लाजिमी है। पिछले दिनों पंजाब में सरकारी वैक्सीन को निजी अस्पतालों को बेचे जाने का विवाद सामने आया था। इससे पहले राजस्थान में वैक्सीन को कूड़े के ढेर में फेंकने या मिट्टी में दबाने का चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ था। ये वो राज्य हैं, जिन्हें हर महीने वैक्सीन का कोटा बढ़ाकर दिया गया।
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा-पूरे देश में वैक्सीन का जितना वेस्टेज हुआ है, उससे ज़्यादा वेस्टेज इन्होंने (अरविंद केजरीवाल) किया है। दिल्ली में 1,82,000 वैक्सीन वेस्ट हुई हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री सिर्फ बातें करना जानते हैं, उन्होंने कोई ठोस समाधान नहीं किया।
वैक्सीन को लेकर 9 राज्यों का हाल
16 जनवरी से शुरू हुआ था वैक्सीनेशन
भारत का टीकाकरण अभियान साइंटिफिक प्रोटोकॉल और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार आगे बढ़ा है। इसका उद्देश्य पहले मृत्यु दर को रोकना और फिर संक्रमण को रोकना है। 16 जनवरी से 1 फरवरी तक स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता दी गई। 2 फरवरी से 28 फरवरी तक फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की प्राथमिकता थी। 1 मार्च से 60 वर्ष से ऊपर और 45 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन की अनुमति दी गई। 1 अप्रैल से 45 वर्ष से ऊपर के सभी पात्र बन गए और 1 मई से 18 वर्ष से ऊपर के सभी वैक्सीनेशन के लिए पात्र हैं। वैक्सीनेशन प्रक्रिया अब राज्यों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के लिए भी खोल दी गई है। भारत सरकार ने यह तय किया है कि वह भारत में लगने वाले वैक्सीन का 50 प्रतिशत फ्री में उपलब्ध कराएगी और बाकी के 50 प्रतिशत राज्य व निजी अस्पताल खरीद सकेंगे।
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