भारत में अबॉर्शन को कानूनी मान्यता लेकिन इन शर्तों के साथ, जानें किन हालातों में करा सकते हैं गर्भपात

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गर्भपात पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अपने फैसले में कोर्ट ने सभी महिलाओं को गर्भपात का हक दे दिया, फिर चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत सभी महिलाएं 22 से 24 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की हकदार हैं। हालांकि, इसका ये मतलब कतई नहीं है कि इसकी छूट मिल चुकी है।

Ganesh Mishra | Published : Sep 29, 2022 9:43 AM IST / Updated: Sep 29 2022, 05:34 PM IST

Abortion Rights in India: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गर्भपात पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अपने फैसले में कोर्ट ने सभी महिलाओं को गर्भपात का हक दे दिया, फिर चाहे वो विवाहित हों या अविवाहित। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत सभी महिलाएं 22 से 24 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर जबरन सेक्स की वजह से पत्नी गर्भवती होती है तो उसे सुरक्षित और कानूनी रूप से अबॉर्शन का अधिकार है। भारत में अबॉर्शन यानी गर्भपात को 'कानूनी मान्यता' जरूर है। लेकिन इसका मतलब कतई ये नहीं है कि इसकी छूट मिल चुकी है। आइए जानते हैं किन हालातों में करा सकते हैं अबॉर्शन। 

भारत में अबॉर्शन को लेकर क्या है कानून? 
भारत में अबॉर्शन को लेकर 'मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट' है, जो 1971 से लागू है। 2021 में इस एक्ट में संशोधन हुआ है। भारत में पहले कुछ मामलों में 20 हफ्ते तक अबॉर्शन की मंजूरी थी, लेकिन 2021 में इस कानून में संशोधन कर इसे बढ़ा कर 24 हफ्ते कर दिया गया। इतना ही नहीं, कुछ खास मामलों में 24 हफ्ते के बाद भी अबॉर्शन कराने की मंजूरी ली जा सकती है। 

20-24 हफ्ते के बाद गर्भपात की अनुमति : 
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP) एक्ट के तहत अबॉर्शन कराने के लिए महिला को यह साबित करने की जरूरत नहीं है कि उसके साथ रेप या सेक्शुअल असॉल्ट हुआ है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 (2) (बी) किसी भी महिला को 20-24 सप्ताह के बाद गर्भपात कराने की अनुमति देता है। 

गर्भपात के लिए ये शर्तें : 
- बच्चे के जिंदा रहने के चांस कम हैं या मां की जान को खतरा है तो अबॉर्शन हो सकता है। 
- इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का मेरिटल स्टेटस बदल जाए यानी उसका तलाक हो जाए या फिर वो विधवा हो जाए, तो भी अबॉर्शन करवा सकती है। 
- प्रेग्नेंसी की वजह से अगर गर्भवती की जान को खतरा है तो किसी भी स्टेज पर एक डॉक्टर की सलाह पर अबॉर्शन किया जा सकता है। हालांकि, अबॉर्शन उसी शर्त पर होग, जब महिला लिखित अनुमति देगी। अगर कोई नाबालिग है या मानसिक रूप से बीमार है तो ऐसी स्थिति में माता-पिता या गार्जियन की परमिशन जरूरी होगी। 
- भारत में अबॉर्शन को लेकर कानून है, लेकिन भ्रूण के लिंग की जांच के बाद अगर कोई अबॉर्शन करवाता है तो यह गैरकानूनी है और इसके लिए सजा हो सकती है। 

इन जगहों पर हो सकेगा अबॉर्शन : 
- सरकार द्वारा स्थापित या पोषित अस्पताल
- वह स्थान जो सरकार या सरकार द्वारा गठित किसी ऐसी जिला स्तरीय समिति द्वारा अप्रूव्ड हो, जहां उक्त समिति के अध्यक्ष के रूप में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMHO) या जिला स्वास्थ्य अधिकारी (DMO)हो। 

क्या है सजा का प्रावधान?
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP)के तहत अगर किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा अबॉर्शन कराया गया जो रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर नहीं है तो यह एक अपराध होगा। इसके तहत 2 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। 

इस याचिका पर कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला : 
बता दें कि 25 साल की एक अविवाहित महिला ने 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट 16 जुलाई को उसकी इस मांग को खारिज कर दिया था। महिला ने अपनी सफाई में कोर्ट को बताया था कि वह सहमति से सेक्स के चलते प्रेग्नेंट हुई, लेकिन बच्चे को जन्म नहीं दे सकती क्योंकि वह शादीशुदा नहीं है। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने MTP एक्ट की धारा 3 (2) (बी) का हवाला देते हुए यह फैसला 23 अगस्त को सुरक्षित रख लिया था।  

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