सार
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गर्भपात कानून को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सभी महिलाओं को सुरक्षित और लीगल अबॉर्शन का अधिकार हैं। शादीशुदा और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है। ऐसी प्रेग्नेंट महिलाएं जिनका मैरिटल रेप हुआ है, वे भी अबॉर्शन करा सकेंगी।
Right to Abortion: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गर्भपात कानून को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सभी महिलाओं को सुरक्षित और लीगल अबॉर्शन का अधिकार हैं। शादीशुदा और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है। ऐसी प्रेग्नेंट महिलाएं जिनका मैरिटल रेप हुआ है, वे भी अबॉर्शन करा सकेंगी। अविवाहित महिलाओं को भी 20-24 हफ्ते के गर्भ को गिराने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि किसी महिला की वैवाहिक स्थिति के आधार पर उससे अबॉर्शन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। सिंगल और अविवाहित महिलाएं प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते तक मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 2021 के तहत अबॉर्शन की हकदार हैं। गर्भपात को लेकर अमेरिका सहित बाकी देशों में क्या है कानून, आइए जानते हैं।
अबॉर्शन पर कैसा है अमेरिकी कानून :
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जून, 2022 में अबॉर्शन के अधिकार को खत्म कर दिया। मतलब वहां महिलाओं को अबॉर्शन कराने का अधिकार नहीं है और ये गैरकानूनी है। हालांकि हर राज्य को यह छूट है कि वह गर्भपात को लेकर अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं, लेकिन इन्हें कानूनी मान्यता नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पूरे अमेरिका में इसका विरोध हुआ था। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर कई हॉलीवुड सेलेब्स ने भी इस फैसले का विरोध किया था।
अमेरिका में 50 साल पहले बना था अबॉर्शन पर कानून :
50 साल पहले भी अमेरिका में कई राज्यों में गर्भपात कराना गैरकानूनी माना जाता था। ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लिए जाते थे। गर्भपात को कानूनी मान्यता देने की मांग का सबसे पहला मामला 1969 में सामने आया था।
रो vs वेड मामला :
दरअसल, अमेरिका में 22 साल की जेन रो उर्फ मैककॉर्वी जब तीसरी बार गर्भवती हुईं। वह दो बच्चों की मां बन चुकी थीं और तीसरा बच्चा नहीं चाहती थीं। हालांकि, उस दौर में टेक्सास में गर्भपात का अधिकार सिर्फ उन्हीं महिलाओं को था, जिनकी जान खतरे में हो। ऐसे में रो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया था। हालांकि, 2022 में इसे फिर खत्म कर दिया गया।
कनाडा में गर्भपात कानून :
कनाडा में गर्भपात को बैन करने के लिए कोई कानून नहीं है। यहां गर्भधारण के 20 सप्ताह के भीतर अबॉर्शन को एक जरूरी चिकित्सा प्रक्रिया के रूप में कवर किया जाता है। हालांकि, अलग-अलग राज्यों में हालातों के मुताबिक, अगर मां की हालत खराब है तो इसके लिए अलग नियम हैं।
मेक्सिको में गर्भपात कानून :
मेक्सिको की अदालत ने गर्भपात को काफी हद तक प्रतिबंधित कर दिया था। मेक्सिको सिटी और 31 में से केवल तीन राज्यों ने भ्रूण के गर्भधारण के 12 सप्ताह तक अबॉर्शन की अनुमति दी थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा कि गर्भपात कराने वाली महिलाओं को दंडित करना असंवैधानिक है। ऐसे में 12 सप्ताह के बाद के महीनों में पांच और राज्यों में गर्भपात को वैध कर दिया गया।
निकारगुआ में गर्भपात कानून :
निकारगुआ में गर्भपात पूरी तरह से बैन है और महिला और डॉक्टरों के लिए जेल की सजा है। गर्भपात को अपराध मानने वाले राष्ट्रपति डेनियल ओर्टेगा को निकारागुआ के अलावा अमेरिका के भी कई नेताओं का समर्थन हासिल है।
ब्रिटेन में गर्भपात कानून :
इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में गर्भपात वैध है। ब्रिटेन में 1967 के गर्भपात अधिनियम द्वारा यह संरक्षित है। गर्भपात कानूनी रूप से गर्भावस्था के 24 वें सप्ताह तक किया जा सकता है और दो डॉक्टरों द्वारा मेडिकली अप्रूव्ड होना चाहिए।
16 देशों में पूरी तरह बैन है अबॉर्शन :
दुनियाभर के करीब 16 देशों में अबॉर्शन पूरी तरह बैन है। इनमें मिस्र, इराक, फिलीपींस, लाओस, सेनेगल, निकारगुआ, अल सल्वाडोर, होंडुरास, हैती और डोमिनिकन रिपब्लिक समेत कई देश शामिल हैं। हालांकि, 36 देश ऐसे भी हैं जहां गर्भपात बैन तो है लेकिन अगर मां की जान को किसी भी तरह का खतरा है तो ऐसी कंडीशन में अबॉर्शन किया जा सकता है।
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