जम्मू कश्मीर के रामबन के मेकरकोट इलाके में खूनी नाला के नज़दीक जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग ढहने(tunnel collapsed on the Jammu-Srinagar National Highway) से 10 मज़दूर लापता हैं। जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, बचाव अभियान जारी है।
जम्मू. जम्मू-कश्मीर में गुरुवार रात एक बड़ा हादसा हो गया। यहां रामबन के मेकरकोट इलाके में खूनी नाला के नज़दीक जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग ढहने(tunnel collapsed on the Jammu-Srinagar National Highway) से 10 मज़दूर लापता हैं। जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, बचाव अभियान जारी है। इस सुरंग का निर्माण कार्य चल रहा है। हालांकि सुरंग में फंसे लोगों की संख्या अलग-अलग बताई गई है। इस बीच केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि वो लगातार डीसी के संपर्क में हैं। बचाव कार्य जारी है। नागरिक प्रशासन और पुलिस अधिकारी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
सुरंग का एक छोटा हिस्सा ढहने से हुआ हादसा
शुक्रवार को रेस्क्यू टीम ने मीडिया को बताया कि इस निर्माणाधीन चार लेन की सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से चार लोग घायल हो गए और कई अन्य फंस गए। अधिकारियाों ने बताया कि खूनी नाले में सुरंग के सामने की ओर का एक छोटा हिस्सा गुरुवार रात एक ऑडिट के दौरान ढह गया। हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस और सेना तुरंत मौके पर पहुंची और एक संयुक्त बचाव अभियान शुरू किया। अधिकारियों ने बताया कि घायल अवस्था में चार लोगों को बचा लिया गया और कई अन्य अभी भी सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग के सामने खड़ी बुलडोजर और ट्रकों सहित कई मशीनों और वाहनों को नुकसान पहुंचा है।
ऑडिट के कर्मचारी सुरंग में फंसे
अधिकारियों के अनुसार, रामबन के उपायुक्त मस्सारतुल इस्लाम और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहिता शर्मा मौके पर हैं और बचाव अभियान की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे लोग सुरंग के ऑडिट का काम करने वाली कंपनी के हैं। अधिकारियों ने बताया कि बनिहाल से घटनास्थल के लिए कई एंबुलेंस भेजी गई हैं।
इससे पहले भी हो चुका है ऐसा ही हादसा
पिछले महीने लद्दाख के नुब्रा उपमंडल में भी एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा तूफानी हवाओं में ढह गया था। इस हादसे में 4 मजदूरों की मौत हो गई थी। हालांकि 2 को बचा लिया गया था। लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने खुद इस रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी की थी। साथ ही घटना की जांच के आदेश भी दिए थे। इस बचाव कार्य में सेना की स्थानीय 102 ब्रिगेड, सीमा सड़क संगठन(BRO) की विजयक परियोजना और लेह स्थित वायुसेना स्टेशन से मदद भेजी गई थी।
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