सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद (Adani Hindenburg case) की जांच के लिए विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सेबी को दो महीने में जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सेबी को दो महीने में जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
दरअसल सेबी द्वारा पहले से ही अदाणी समूह हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि मामले के विभिन्न अन्य पहलुओं की नियामक संस्था द्वारा जांच की जानी चाहिए। सेबी को जांच करनी चाहिए कि क्या स्टॉक प्राइसिंग का उल्लंघन और हेरफेर किया गया है।
रिटायर जज एएम सप्रे बने समिति के हेड
कोर्ट ने शेयर बाजार के नियामक तंत्र के मौजूदा ढांचे की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया है। रिटायर जज एएम सप्रे को समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है। ओपी भट्ट, जज केपी देवदत्त, केवी कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरसन को समिति का सदस्य बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था कि भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता से बचाने की जरूरत है। नियामक तंत्र मजबूत करने के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक पूर्व जज की अध्यक्षता में डोमेन विशेषज्ञों के एक पैनल की स्थापना पर विचार करने के लिए कहा था।
गौतम अदाणी बोले- सच्चाई की जीत होगी
उद्योगपति गौतम अदाणी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे सच्चाई सामने आएगी। गौतम अदाणी ने ट्वीट किया, "अदाणी समूह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है। सच्चाई की जीत होगी।"
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हिंडनबर्ग ने लगाया था अदाणी समूह पर धोखाधड़ी का आरोप
बता दें कि हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर स्टॉक में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई थी। अदाणी समूह ने कहा था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट झूठी है। अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। इसके लिए अमेरिकी लॉ फर्म वाचटेल को काम पर रखा गया है।
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