
नई दिल्ली। चीन में सोमवार को 133 यात्रियों को ले जा रहे बोइंग 737 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से बोइंग के 737 सीरीज के विमानों पर सवाल उठने लगे हैं। बोइंग 737 सीरीज के इन विमानों का संचालन इथियोपियन इयरलाइंस के 2019 में हुए प्लेन क्रैश के बाद रोक दिया गया था। 24 अक्टूबर 2018 में इंडोनेशिया के बोइंग क्रैश में 246 और 10 मार्च 2019 को इथियोपियन प्लेन के क्रैश में 154 लोगों की मौत हुई थी। 2018 में ही विमान के सॉफ्टवेयर में कुछ अपग्रेडेशन की जरूरत बताई गई थी, लेकिन इस बिना अपग्रेड किए उड़ाया जा रहा था। दिसंबर 2021 में विमान का सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने के बाद सबसे पहले अमेरिका ने इसकी उड़ानों को मंजूरी दी। इसके बाद अलग-अलग देशों ने अलग-अलग समय पर इन विमानों को उड़ान भरने की मंजूरी दी थी। भारत में स्पाइस जेट कंपनी इन विमानों का इस्तेमाल करती है। चीन ने तो 3 महीने पहले 2 दिसंबर को ही इस विमान को उड़ान भरने की मंजूरी दी थी।
भारत में 2021 से इन विमानों पर रोक हटी
भारत में भी किफायती एयरलाइन स्पाइसजेट के बेड़े में 13 बोइंग 737 मैक्स विमान हैं। कंपनी 2020 तक इन विमानों का संचालन करती रही। लेकिन रोक लगने के बाद से इस सीरीज के विमानों को ऑपरेट नहीं किया जा रहा था। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA)' ने लगभग 26 अगस्त 2021 को 737 मैक्स विमानों की कॉमर्शियल फ्लाइट्स के संचालन पर से प्रतिबंध हटा लिया था।
छह साल पुराना था चीन का एयरक्राफ्ट
चीन में भी यह विमान प्रतिबंधत था, लेकिन सॉफ्टवेयर अपग्रेड होने के बाद इसकी उड़ानों की मंजूरी दे दी गई थी। इसकी उड़ानें शुरू होने से पहले पायलट्स को नए सिरे से ट्रेनिंग दी गई थी। माना जा रहा था कि नए सॉफ्टवेयर से यह सुरक्षित रहेगा, लेकिन इसके बाद भी आखिर विमान क्रैश हो गया। सूत्रों का कहना है कि जो विमान क्रैश हुआ वह छह साल पुराना था।
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