पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी का दर्द: बच्चों को देते थे इस्लामी शिक्षा, किसान से बना दिया मजदूर

धर्मवीर सोलंकी ने बताया, "हम किसान परिवार से हैं। मगर पाकिस्तान में 30-40 साल पहले ही हमारी जमीनों पर कब्जा कर लिया गया। हम किसान से मजदूर बन गए। 

Kalpana Shital | Published : Dec 18, 2019 2:00 PM IST / Updated: Dec 18 2019, 08:22 PM IST

नई दिल्ली. नागरिकता कानून बनने के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में इसका लगातार विरोध हो रहा है। मगर पाकिस्तान से आए देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों की बहुत बड़ी आबादी नागरिकता कानून में मोदी सरकार के फैसले से बहुत खुश है। दिल्ली में रह रहे तमाम हिंदू शरणार्थियों ने Asianet News Hindi से बातचीत में पाकिस्तान में गुजारे बेइंतहा दर्द को लेकर बातचीत की।

छह साल पहले धार्मिक भेदभाव की वजह से धर्मवीर सोलंकी का पाकिस्तान में रहना मुश्किल हो गया। उन्हें हारकर पाकिस्तान सिंध हैदराबाद में अपनी जन्मभूमि को छोड़ना पड़ा और 2013 में अपने सात लोगों के परिवार को लेकर भारत आ गए। धर्मवीर ने पड़ोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का साहसिक फैसला लेने वाले पीएम नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों के लिए "भगवान का अवतार" करार दिया।

वहां के स्कूलों में इस्लामी शिक्षा दी जाती है

धर्मवीर ने कहा, "पाकिस्तान में हमारा जीना दूभर हो गया था। हिंदू परिवारों को आए दिन प्रताड़ित किया जाता था। हमारे बच्चे पढ़ नहीं सकते थे। वहां के स्कूलों में इस्लामी शिक्षा दी जाती थी।"

जमीनों पर कब्जा कर बना दिया मजदूर

धर्मवीर सोलंकी ने बताया, "हम किसान परिवार से हैं। मगर पाकिस्तान में 30-40 साल पहले ही हमारी जमीनों पर कब्जा कर लिया गया। हम किसान से मजदूर बन गए। दूसरे के खेतों से हम किसी तरह अपना गुजर बसर कराते थे। पाकिस्तान में हमारे साथ दोयम दर्जे का सलूक होता था। मुशर्रफ के शासनकाल में वोटिंग तक बंद हो गई। हालांकि बाद में ये अधिकार वापस दे दिया गया मगर बारा-बार धार्मिक आजादी पर हमलों का सिलसिला नहीं थमा।"

छह साल पहले हरिद्वार तीर्थ का धार्मिक वीजा लेकर भारत आ गए और तबसे यहीं दिल्ली के मजनू का टीला में रिफ़्यूजी कैंप में रह रहे हैं।  मजदूरी करके परिवार का गुजारा कराते हैं।

क्या है संशोधित नागरिकता कानून?

संशोधित नागरिकता कानून  (Citizenship Amendment Act 2019) के बाद पड़ोसी देशों से भागकर भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। ये नागरिकता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और फारसी धर्म के लोगों को दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो एक से छह साल तक भारत में रहे हों। 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। अन्य धर्म के लोगों को नागरिकता के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी है। 

Share this article
click me!