सीमा विवाद: गलवान में झड़प की जगह से भारतीय सेना भी हटी 1.5 किमी पीछे: रिपोर्ट

पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में झड़प की जगह से भारतीय सेना भी 1.5 किमी पीछे हटी है। द हिंदू ने भारत सरकार के वरिष्ठ अफसर के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। सैन्य सूत्रों के मुताबिक, समझौते के तहत दोनों पक्ष विवादित इलाके से 1 से 1.5 किमी पीछे हटने को तैयार हुई है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 7, 2020 11:46 AM IST

नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में झड़प की जगह से भारतीय सेना भी 1.5 किमी पीछे हटी है। द हिंदू ने भारत सरकार के वरिष्ठ अफसर के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। सैन्य सूत्रों के मुताबिक, समझौते के तहत दोनों पक्ष विवादित इलाके से 1 से 1.5 किमी पीछे हटने को तैयार हुई है। जब दोनों देश पीछे हट जाएंगे तो एक बार फिर आगे की दिशा के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत होगी। 

दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को वीडियो कॉल पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की थी। दोनों के बीच दो घंटे चली बातचीत में स्थाई तौर पर शांति लाने और भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों, इस पर भी चर्चा हुई। बातचीत के दौरान दोनों देश पीछे हटने को तैयार हो गए थे।

चीन ने सेना हटाना शुरू किया
गलवान में झड़प वाली जगह से चीन ने अपने सैनिकों को 1.5 किमी पीछे हटाना शुरू कर दिया है। पेट्रोलिंग पॉइंट 14 तक भारतीय सैनिक गश्त करते थे। 15 जून को दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। 30 जून को कमांडर लेवल की बैठक में मीटिंग में समझौता हुआ है कि भारतीय सैनिक अगले 30 दिन तक वहां नहीं जा सकेंगे। 

ठोस समाधान की जरूरत
द हिंदू के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि भारत ने पेट्रोलिंग पॉइंट 14 तक सड़क बना ली है जहां खूनी झड़प हुई थी। यहां से भारतीय सेना पेट्रोलिंग शुरू करती थी। अब समझौते के मुताबिक, भारत यहां पेट्रोलिंग नहीं कर पाएगा। उनका कहना है कि अगर इस विवाद में इसका ठोस समाधान नहीं हुआ तो भारत इस इलाके में पेट्रोलिंग का अपना अधिकार हमेशा के लिए खो सकता है।
 
3.5 से 4 किमी तक बफर जोन घोषित 
अधिकारी के मुताबिक, झड़प की जगह के आसपास 3.5-4 किमी बफर जोन घोषित किया गया है। इसलिए गलवान में दोनों देशों की तरफ से 30 से ज्यादा सैनिक तैनात नहीं कर सकेंगे। दोनों देशों के सैनिकों के बीच 3.6 से 4 किमी की दूरी होगी। इस बफर जोन के बाद 1-1 किमी तक दोनों देश 50-50 सैनिक तैनात रह सकते हैं। यानी कुल 6 किमी तक एक देश 80 से ज्यादा सैनिक तैनात नहीं रहेंगे। 

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