कृषि मंत्री ने राज्यसभा में पेश किए खेती से जुड़े 2 बिल, कहा, 'इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी'

हरसिमरत के इस्तीफा देने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर को कृषि मंत्री बना दिया गया है। मानसून सत्र के 7वें दिन रविवार को तोमर ने राज्यसभा में खेती से जुड़े दो बिल पेश किए। इसमें फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल शामिल हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 20, 2020 6:19 AM IST / Updated: Sep 20 2020, 02:40 PM IST

नई दिल्ली. हरसिमरत के इस्तीफा देने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर को कृषि मंत्री बना दिया गया है। मानसून सत्र के 7वें दिन रविवार को तोमर ने राज्यसभा में खेती से जुड़े दो बिल पेश किए। इसमें फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। उन्होंने किसानों को विश्वास दिलाया कि बिलों का संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नहीं है।  

पंजाब-हरियाणा के किसान कर रहे प्रदर्शन 

बिलों को लेकर पंजाब-हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, इसी मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। बिल लोकसभा से पास हो चुका है।

सदन में कौन-क्या बोला?

माकपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक ने विधेयकों में संशोधन की मांग की। इसे राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा गया। सदन में कांग्रेस ने बिल का विरोध किया। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि 'वो और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरेंट पर साइन नहीं करेंगे।' भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस से पूछा कि 'जब आपकी सरकार थी तो साल दर साल ग्रामीण क्षेत्रों की आय क्यों कम हुई? आप इस बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं?'

सदन में सदस्यों का गणित?

- 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में दो सीट खाली है। इस तरह से अभी कुल सदस्यों की संख्या 243 है।
- सरकार को बिल पास कराने के लिए 122 सदस्यों का साथ चाहिए होगा।
- 10 सदस्य कोरोना की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे।
- अभी भाजपा के 86 सांसद और उसकी सहयोगी दलों (अकाली दल को छोड़कर) के सदस्यों को मिला लें तो यह 105 हो जाती है।
- बिल पास कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों के 17 सदस्यों का साथ चाहिए।
- 9 सदस्यों वाली अन्नाद्रमुक ने बिल के समर्थन का ऐलान किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने तीनों कृषि विधेयकों का समर्थन - करने को कहा है। इस तरह बिल के समर्थन में 114 सांसद हो जाते हैं।
- शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया है। सदन में शिवसेना के 3 सदस्य हैं। ऐसे में बिल के समर्थन में 117 हो जाते हैं।
- अब सरकार को 5 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेडी के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीआरएस के 7, और टीडीपी के 1 सदस्य की - भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इन दलों के कुल सदस्यों की संख्या 23 है।

क्या हैं ये विधेयक?

कृषि सुधारों को टारगेट करते हुए लाए गए यह तीन विधेयक हैं, पहला- द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; दूसरा- द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और तीसरा- द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020।

कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के विरोध के बाद भी एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल लोकसभा में पारित हो गया है। अब राज्यसभा में रखा गया है।

किसान ने खेती करते वक्त किया डांस 

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