खबर खेती की : मार्केट में इस रंग-बिरंगे फूल की जबरदस्त डिमांड, लाखों रुपये का मुनाफा, यहां समझें बारीकियां

अक्सर खबरें आती रहती हैं, इंजीनियर या कंपनी में लाखों रुपये कमाने वाले व्यक्ति ने नौकरी छोड़ खेती करना शुरू कर दिया है और खेती से लाखों-करोड़ों रूपये कमा रहा है। आज हम आपको एक जरबेरा फूलों की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप लाखों रुपये कमा सकते हैं...
 

एग्रीकल्चर डेस्क : आज के समय में किसान ऑर्गेनिक खेती करके लाखों रुपये कमा रहे हैं। देशभर के किसान परंपरागत खेती के तरीकों के अलावा तेजी से आर्गेनिक खेती की तरफ भी मूव कर रहे हैं। आज हम जरबेरा के फूल की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं। जरबेरा की खेती से लाखों रुपये आसानी से कमाए जा सकते हैं। जरबेरा (Gerbera) के फूल की खेती कैसे करें? इसके लिए कैसी मिट्टी और जलवायु चाहिए ? आइए जानते हैं...

कहां होता है इसका उपयोग
जरबेरा फूल कई रंगों (पीले, नारंगी, सफेद, गुलाबी, लाल) में खिलता है। इस कारण से इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। इस फूल का उपयोग मुख्य रूप से शादियों में, ऑफिस, रेस्टोरेंट और होटल की सजावट के दौरान किया जाता है। इतना ही नहीं इस फूल से आयुर्वेदिक दवाएं भी बनती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि जरबेरा का फूल हर मौसम यानी साल के सभी 12 महीनों में खिलता है।

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इन राज्यों में होती है इसकी सबसे अधिक खेती
जरबेरा फूल की खेती कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल और हिमाचल और गुजरात जैसे राज्यों में व्यापक पैमाने पर होती है। इसकी प्रमुख वजह है कि जरबेरा फूल के अनुकूल जलवायु और मिट्टी। 

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कैसे करें खेती
जरबेरा की अच्छी उपज के लिए जरूरी है कि सबसे पहले खेत पलाऊ लगाकर जुताई करें। इसके बाद खेत को कुछ दिनों तक वैसे ही छोड़ दिया जाए। इसके बाद खेत में गोबर की खाद डालकर, कल्टीवेटर से जुताई करें। जरबेरा के खेत में कल्टीवेटर से जुताई के बाद खेत में पानी भर दें। इसके बाद खेत में रासायनिक खादों का छिड़काव कर फिर से जुताई करें। खाद छिड़कने के बाद मिट्टी भुरभूरी होने तक जुताई की जाए। इसके बाद खेतों में मेड़ बनाएं। इन मेड़ों के तकरीबन दो फीट की दूरी होनी चाहिए। इसके बाद जरबेरा के फूलों की अच्छी किस्म के बीज इन मेंड़ों के बीच बोएं। जरबेरा की खेती के लिए 700 से 1000 मिलीलीटर पानी की जरूरत होती है। 

जरबेरा अफ्रीकन मूल का फूल
यह फूल मूल रूप से अफ्रीका का माना जाता है। इसको अफ्रीकन डेजी भी कहा जाता है। यह बारहमासी पौधा है। जरबेरा जल्दी मुरझाता नहीं है, इसकी यह खासियत इसी बात से समझी जा सकती है कि केवल एक बोतल पानी की सिंचाई के बाद भी जरबेरा दो सप्ताह से अधिक तक खिला रहता है।

खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
वैसे तो जरबेरा की खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन भुरभूरी होने के कारण रेतीली मिट्टी जरबेरा के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है। रेतीली जमीन पर जरबेरा का विकास तेजी से होता है। लेकिन अगर रेतीली मिट्टी नहीं है तो भी परेशान होने की जरूरत नहीं। दूसरे प्रकार की मिट्टी में भी जीवांश पदार्थ मिलाकर जरबेरा फूल की खेती की जा सकती है। जलवायु की बात करें तो जरबेरा की खेती के लिए गर्मी में हल्की छाया और ठंड में घूप की जरूरत होती है। इसके लिए दिन का तापमान 18 से 25 सेंटीग्रेड के बीच बेहतर होता है। रात का तापमान 10 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होना चाहिए।

लागत और कमाई
जरबेरा फूल की खेती की लागत और फूल तैयार होने के बाद होने वाली कमाई की बात करें तो प्रति हेक्टेयर जरबेरा की खेती की लागत दो से तीन लाख रुपये तक आती है। कई रंगों में खिलने के कारण जरबेरा की मार्केट में बहुत मांग होती है। ऐसे में जरबेरा तत्काल बिक जाते हैं। इसकी खेती करने वाला किसान हर साल तकरीबन आठ लाख रुपये तक आसानी से कमा सकता है। ऐसे में एक हेक्टेयर में जरबेरा की खेती पर किसान को औसतन चार से पांच लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है।

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