बजट में हेल्थ सेक्टर पर बोले मोदी-हमारा मकसद हर व्यक्ति,हर हिस्से तक बेहतर-सस्ती हेल्थकेयर सुविधा पहुंचाना है

बजट में विभिन्न सेक्टरों पर आयोजित वेबिनार के तीसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने शनिवार को हेल्थ सेक्टर में बजट(post budget webinar on health sector) पर अपनी बात रखी। इससे पहले पीएम ने एग्रीकल्चर सेक्टर और डिफेंस सेक्टर में बजट में क्या खास रहा, इस पर संबोधन दिया था।

नई दिल्ली. बजट में विभिन्न सेक्टरों पर आयोजित वेबिनार के तीसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने शनिवार को हेल्थ सेक्टर में बजट(post budget webinar on health sector) पर अपनी बात रखी। इससे पहले पीएम ने एग्रीकल्चर सेक्टर और डिफेंस सेक्टर में बजट में क्या खास रहा, इस पर संबोधन दिया था।

Vaccination drive in India: वैक्सीनेशन मिशन के लिए बधाई
मोदी ने कहा-सबसे पहले तो आप सभी को दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन मिशन को सफलतापूर्वक चलाने के लिए 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं। हमने अपने हेल्थकेयर सिस्टम में एक holistic approach को adopt किया है। आज हमारा फोकस health पर तो है ही, wellness पर भी उतना ही अधिक है। स्वच्छ भारत मिशन हो, फिट इंडिया मिशन हो, पोषण मिशन हो, मिशन इंद्रधनुष हो, आयुष्मान भारत हो, जल जीवन मिशन हो, ऐसे सभी मिशन को हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक लेकर जाना है।

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हेल्थ सेक्टर के तीन फैक्टर
जब हम हेल्थ सेक्टर में holistic और inclusiveness की बात करते हैं तो, इसमें तीन फैक्टर्स का समावेश कर रहे हैं। पहला- modern medical science से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और ह्यूमेन रिसोर्स का विस्तार। दूसरा- आयुष जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में research को प्रोत्साहन और हेल्थकेयर सिस्टम में उसका active engagement. तीसरा– Modern और Futuristic technology के माध्यम से देश के हर व्यक्ति, हर हिस्से तक बेहतर और affordable healthcare सुविधाएं पहुंचाना। हमारा प्रयास है कि क्रिटिकल हेल्थकेयर सुविधाएं ब्लॉक स्तर पर हों, जिला स्तर पर हों, गांवों के नज़दीक हों। इस इंफ्रास्ट्रक्चर को मैंटेन करना और समय-समय पर अपग्रेड करना जरूरी है। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर और दूसरे सेक्टर्स को भी ज्यादा ऊर्जा के साथ आगे आना होगा। हम भारत में ऐसा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहते हैं, जो सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित न हो।

समान स्वास्थ्य सेवाएं
one health, one earth की स्प्रिरिट को हमें हिंदुस्तान में भी one India, one health के तहत दूर-दराज के क्षेत्र में भी समान स्वास्थ्य सेवाएं देनी हैं। प्राइमरी हेल्थकेयर नेटवर्क को सशक्त करने के लिए 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स के निर्माण का काम भी तेज़ी से चल रहा है। अभी तक 85,000 से अधिक सेंटर्स रुटीन चेकअप, वैक्सीनेशन और टेस्ट्स की सुविधा दे रहे हैं।

मेंटल हेल्थकेयर भी जोड़ा गया
इस बार के बजट में इनमें मेन्टल हेल्थकेयर की सुविधा भी जोड़ी गई है। बेहतर पॉलिसी के साथ ही उनका इम्प्लीमेंटेशन भी बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए जरूरी है कि ग्राउंड पर जो लोग पॉलिसी को उतारते हैं, उन पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। इसलिए इस बजट में हमनें 2 लाख आंगनवाड़ियों को सक्षम आंगनवाड़ियों में अपग्रेड करके उन्हें और सशक्त बनाने का प्रावधान किया है। 

मेडिकल टूरिज्म पर जोर
जैसे-जैसे हेल्थ सर्विस की डिमांड बढ़ रही है, उसके अनुसार ही हम स्किल्ड हेल्थ प्रोफेशनल्स तैयार करने का भी प्रयास कर रहे हैं। इसलिए बजट में हेल्थ एजुकेशन और हेल्थकेयर से जुड़े ह्युमेन रिसोर्स डेवलपमेंट के लिए पिछले साल की तुलना में बड़ी वृद्धि की गई है। ये भारत के क्वालिटी और affordable हेल्थकेयर सिस्टम की ग्लोबल access भी आसान बनाएगा। इससे मेडिकल टूरिज्म बढ़ेगा और देशवासियों के लिए income opportunities बढ़ेंगी।

कोविन पर चर्चा
कोरोना टीकाकरण में को-विन जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से हमारी डिजिटल तकनीक का लोहा पूरी दुनिया ने माना है। आयुष की भूमिका तो आज पूरी दुनिया भी मान रही है। हमारे  लिए गर्व की बात है कि WHO भारत में अपना विश्व में अकेला Global Centre of Traditional Medicine शुरू करने जा रहा है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन कंज्यूमर और हेल्थकेयर प्रोवाइडर के बीच एक आसान इंटरफेस उपलब्ध कराता है। इससे देश में उपचार पाना और देना दोनों आसान हो जाएंगे। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, कंज्यूमर और हेल्थकेयर प्रोवाइडर के बीच एक आसान इंटरफेस उपलब्ध कराता है।
क्या हमारी राज्य सरकारें इस प्रकार के कामों को जमीन देने में उम्दा नीतियां नहीं बना सकती? ताकि अधिकतर डॉक्टर हमारे देश में तैयार हों। हम दुनिया की मांग भी पूरी कर सकते हैं।

मेडिकल शिक्षा पर बात
आज हमारे बच्चे शिक्षा के लिए, विशेषकर मेडिकल शिक्षा के लिए दुनिया के छोटे-छोटे देशों में जा रहे हैं, वहां भाषा की समस्या भी है, तब भी जा रहे हैं। भारत का अरबों-खरबों रुपया बाहर जा रहा है। आज हमारे बच्चे पढ़ने के लिए, खासकर मेडिकल शिक्षा के लिए दुनिया के छोटे छोटे देशों में जा रहे हैं, देश का अरबों खरबों रुपया बाहर जा रहा है। क्या हमारे प्राइवेट सेक्टर बड़ी मात्रा में इस क्षेत्र में नहीं आ सकते? क्या हमारे प्राइवेट सेक्टर बहुत बड़ी मात्रा में इस फील्ड में नहीं आ सकते, क्या हमारी राज्य सरकारें इस प्रकार के काम के लिए जमीन देने में उम्दा नीतियां नहीं बना सकते। ताकि अधिकतम डॉक्टर और पैरामेडिक्स हमारे यहां तैयार हों। इतना ही नहीं हम दुनिया की मांग पूरा कर सकते हैं। इससे देश में उपचार पाना और देना , दोनों बहुत आसान हो जाएंगे। इतना ही नहीं, ये भारत के क्वालिटी और अफॉर्डेबल हेल्थकेयर सिस्टम की ग्लोबल एक्सेस भी आसान बनाएगा।

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