
Air India Plane Crash Ahmedabad : अहमदाबाद एयरपोर्ट पर एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट एयरपोर्ट की दीवार से टकरा गई। इस बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में 242 पैसेंजर्स बैठे थे। अब सवाल उठ रहा है कि दुनिया के सबसे हाईटेक विमानों में से एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर हादसे का शिकार कैसे हो गया। क्योंकि ये बेहद मॉडर्न एयरक्राफ्ट है। बोइंग कॉमर्शियल एयरप्लेन्स ने इस प्लेन को बनाया है। इसमें कई ऐसी खास टेक्नोलॉजी यूज की गई है,जो बाकी विमानों से अलग बनाता है। आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं Boeing 787 Dreamliner की पूरी इनसाइड स्टोरी...
ये कोई आम विमान नहीं, बल्कि बोइंग कंपनी का एक मॉडर्न, ट्विन-इंजन और फ्यूल-एफिशिएंट वाइड-बॉडी जेट है। इसे खासतौर पर लंबी दूरी की उड़ानों के लिए बनाया गया है यानी दिल्ली से न्यूयॉर्क या मुंबई से टोरंटो जैसे रूट इसके लिए बिल्कुल परफेक्ट हैं।
1. हल्का लेकिन मजबूत
इसका करीब 50% हिस्सा कार्बन फाइबर और कम्पोजिट मटेरियल से बना है। इसका मतलब है कम वजन, कम फ्यूल खर्च और ज़्यादा मजबूती।
2. बड़े विंडो
Dreamliner की खिड़कियां किसी भी कमर्शियल प्लेन से सबसे बड़ी होती हैं (27 x 47 सेमी)।
3. कम थकान वाली केबिन
इसकी केबिन प्रेशरिंग ऐसी है कि ऑक्सीजन ज़्यादा रहती है और यात्रियों को कम थकान महसूस होती है।
4. LED लाइटिंग
अंदर ऐसी लाइटिंग है जो फ्लाइट के दौरान टाइम जोन चेंज होने का असर कम करती है।
5. ओवरहेड बिन्स
हर पैसेंजर का कैरी-ऑन बैग आराम से फिट हो जाता है।
Dreamliner पुराने Boeing 767 जैसे विमानों के मुकाबले 20-25% तक कम ईंधन खर्च करता है। मतलब एयरलाइंस के लिए सस्ता और पर्यावरण के लिए अच्छा है।
इस प्लेन की रेंज लगभग 15,000 किमी तक है। यानी बिना रुके दिल्ली से न्यूयॉर्क जैसी दूरी को आराम से पार कर सकता है। इसमें करीब 200-250 यात्री आराम से सफर कर सकते हैं।
इसमें दो पावरफुल इंजन होते हैं, Rolls-Royce Trent 1000 और General Electric GEnx..इनकी सबसे खास बात है कि ये 60% कम शोर करते हैं। साथ ही पंखों के टिप्स ऊपर की ओर मुड़े होते हैं, जिससे टर्बुलेंस और एयर रेसिस्टेंस कम होता है।
अलग-अलग एयरलाइंस अपने हिसाब से लेआउट तय करती हैं। जैसे ANA में 32 बिजनेस, 14 प्रीमियम इकोनॉमी और 138 इकोनॉमी सीटें होती हैं। हर सीट पर पर्सनल स्क्रीन, USB चार्जिंग, और पावर पोर्ट होता है। सीटें आरामदायक होती हैं और विमान के अंदर का शोर भी काफी कम रहता है।
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2003 में '7E7' नाम से हुई थी। बाद में बोइंग ने लोगों से नाम मांगे। 5 लाख से ज्यादा वोट के बाद इसे Dreamliner नाम मिला। पहली फ्लाइट 2009 में और पहली डिलीवरी 2011 में जापान की ANA एयरलाइंस को दी गई।
भारत में Air India इस प्लेन का इस्तेमाल करती है। 2012 में उसने पहला Dreamliner अमेरिका के साउथ कैरोलिना प्लांट से लिया था। ये दिल्ली-न्यूयॉर्क और मुंबई-लंदन जैसे रूट्स पर उड़ान भरता है।
1. कुछ यात्रियों को इसका 3-3-3 इकोनॉमी लेआउट थोड़ा टाइट लगता है।
2. साल 2013 में इस प्लेन में बैटरी ओवरहीटिंग का एक कमी सामने आया था। इस वजह से कुछ समय के लिए इसे ग्राउंड भी कर दिया गया था, लेकिन अब ये समस्या भी ठीक कर ली गई है।