देश के कोने-कोने में कोरोना वैक्सीन पहुंचाएगी वायुसेना, मिशन के लिए तैयार हुए 100 विमान

कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार होने के संकेत मिलने की शुरुआत हो गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि आने वाले कुछ हफ्तों में वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 6, 2020 8:37 AM IST

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार होने के संकेत मिलने की शुरुआत हो गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि आने वाले कुछ हफ्तों में वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है। ऐसे में इतने बड़े स्तर पर वैक्सीन के वितरण के लिए भारतीय वायुसेना ने भी कमर कस ली है। वायुसेना ने अपने ट्रांसपोर्ट प्लेन और हेलीकॉप्टर समेत 100 विमानों को वैक्सीन कार्यक्रम के लिए तैयार कर लिया है।

माना जा रहा है कि देश के दूर-दराज के इलाकों में वैक्सीन ले जाने के लिए एयरलिफ्ट की नौबत आ सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए वायुसेना ने तीन अलग-अलग तरह के विमानों की पहचान की है, जो वैक्सीन वितरण में मददगार साबित होंगी. खास बात है कि फार्मा कंपनियों से 28 हजार कोल्ड चेन स्टोरेज तक पहुंचाने के लिए भारी भरकम जिम्मेदारी C-17 ग्लोबमास्टर, C-130J सुपर हर्क्युलिस और IL 76 निभाएंगे। वहीं, छोटे सेंटर्स के लिए AN-32 और डॉर्नियर्स की तैनाती की गई है. वहीं, लंबी दूरी की डिलीवरी के लिए ALH, चीता और चिनूक हेलीकॉप्टर्स की मदद ली जाएगी।

पीएम मोदी ने की थी घोषणा
सरकार का शुरुआती प्लान 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने का है। इसके लिए पीएम मोदी ने एक टास्क फोर्स की घोषणा की थी। यह टास्क फोर्स वैक्सीन के वितरण में मदद करेगी। खास बात है कि रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय इस टास्क फोर्स का हिस्सा हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब वायुसेना ने वैक्सीन के कामों में मदद की है। इससे पहले भी 2018 में सेना ने रुबेला और मीजल्स के टीके पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

दिल्ली और हैदराबाद एयरपोर्ट तैयार
वायुसेना के अलावा देश की राजधानी दिल्ली और हैदरबाद एयर कार्गो वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट के लिए तैयार हैं। इन दोनों हवाई अड्डों पर वैक्सीन के कोल्ड स्टोरेज, एयरक्राफ्ट से स्टोरेज तक लाने की प्रक्रिया और सुरक्षा की तैयारियां कर ली गई हैं। खास बात है कि दोनों जगहों पर इंसान की मौजूदगी और कागजी कामों को कम करने के लिए क्यूआर कोड और दूसरे डिजिटल तरीकों की मदद ली गई है।

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