आरएसएस मुखपत्र में एनसीपी को एनडीए में शामिल किए जाने को अनावश्यक राजनीति कहा जाना महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता अजीत पवार को नागवार गुजरा है। आरएसएस की इस आलोचना पर अजित पवार ने अब करारा जवाब दिया है।
नेशनल डेस्क। आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में एनसीपी को लेकर की गई एक टिप्पणी ने महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता अजित पवार का माथा गरम कर दिया है। आरएसस ने उसमें कहा है कि एनडीए गठबंधन में एनसीपी को शामिल किया जाना वेवजह की राजनीति दिखती है। इस पर अजीत पवान ने आरएसएस को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनाइजर आऱएसएस के आधिकारिक रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और न ही उसका विचारधारा को दर्शाता है।
पवार बोले- ऑर्गेनाइजर आरएसएस का आधिकारिक मुखपत्र नहीं
पार्टी प्रवक्ता उमेश पाटिल ने कहा कि ऑर्गेनाइजर आरएसएस का आधिकारिक मुखपत्र नहीं है और ऐसा लगता नहीं है कि भाजपा के शीर्ष पदाधिकारी लेख में कही बातों से सहमत होंगे। कोई भी विफलता अलग-अलग कारणों से होती है। जब पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ होती हैं तो आरोप भी लगाए जाते हैं। राजनीति में एक दूसरे पर आरोप लगाना आम बात है। सब कुछ अंतिम नतीजों पर निर्भर करता है। ऐसे में लगता है कि आरएसएस ने जो कहा है उसमें कोई सच्चाई नहीं।
लेख में ये कहा एनसीपी के लिए
ऑर्गेनाइजर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गठबंधन वाले लोकसभा अभियान की निंदा की है और विपक्ष की जरूरतों पर जोर दिया। लेख में महाराष्ट्र को अनावश्यक राजनीति और टालने योग्य गठबंधन के उदाहरण रूप में दिखाया गया है जिसमें विभाजित शिवसेना के साथ सुलभ बहुमत होने के बाद भी अजित पवार की एनसीपी को गठबंधन में शामिल करने पर भाजपा के इस निर्णय पर सवाल उठाया गया है। आरएसएस का मानना है कि एनसीपी को शामिल किए जाने से भाजपा की ब्रांड वैल्यू कम हो जाएगी।
ऑर्गेनाइजर में ये भी कहा है कि महाराष्ट्र अनावश्यक राजनीति और टाले जा सकने वाले गठबंधन का बेहतर उदाहरण है। अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा भाजपा में शामिल हो चुकी है। हालांकि भाजपा और विभाजित शिवसेना के पास पर्याप्त बहुमत था। फिर भी भाजपा ने गठबंधन में एनसीपी को शामिल किया।