
Mystery in Al-Falah University: हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी इन दिनों सुरक्षाबलों और जांच एजेंसियों की नजरों में है। ऐसा इसलिए क्योंकि यूनिवर्सिटी से जुड़ा एक छात्र, मिर्ज़ा शादाब बेग, कथित तौर पर इंडियन मुजाहिदीन (IM) का ऑपरेटिव है और देश भर में हुए कम से कम पांच धमाकों में उसका नाम सामने आया है। इनमें 2008 का अहमदाबाद सीरियल बम धमाका और हाल ही में लाल किले के पास हुआ जानलेवा धमाका शामिल हैं, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई।
सूत्रों के मुताबिक, मिर्ज़ा शादाब बेग ने 2007 में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से B.Tech इलेक्ट्रॉनिक्स पूरा किया। इसी दौरान उसने कथित तौर पर आतंकवादी हमलों की तैयारी शुरू कर दी थी। खबर है कि उसने कर्नाटक से विस्फोटक खरीदे और देशभर में कई जगहों पर धमाके करने की योजना बनाई।
लाल किले धमाके की जांच में 200 से ज्यादा डॉक्टर और स्टाफ मेंबर अब जांच के दायरे में हैं। अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कम से कम तीन डॉक्टर – डॉ. मुज़म्मिल गनई, डॉ. उमर उन नबी और डॉ. शाहीन शाहिद – को गिरफ्तार किया जा चुका है। माना जा रहा है कि इनमें से कुछ ने सीधे तौर पर आतंकवादी नेटवर्क में मदद की।
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 10 नवंबर से लाल किले धमाके की जांच शुरू की। 17 नवंबर को श्रीनगर में Umar un Nabi के को-कॉन्स्पिरेटर जसीर बिलाल वानी को गिरफ्तार किया गया। वानी, जिसे दानिश के नाम से भी जाना जाता है, कथित रूप से ड्रोन मॉडिफाई करने और कार बम ब्लास्ट के लिए टेक्निकल सपोर्ट देने में शामिल था।
UGC और NAAC द्वारा यूनिवर्सिटी के कामकाज में कथित “बड़ी गड़बड़ियां” उजागर होने के बाद क्राइम ब्रांच ने दो FIR दर्ज की हैं। एक धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में है, और दूसरी रेगुलेटरी उल्लंघन के लिए। इससे यह साफ हो गया कि यूनिवर्सिटी के भीतर कुछ गंभीर अनियमितताएं भी थीं।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला मिर्ज़ा शादाब बेग सितंबर 2008 से फरार है। माना जा रहा है कि वह अफ़गानिस्तान में छिपा हुआ है। उसकी गिरफ्तारी और जांच से ही अब देशभर के धमाकों की गुत्थी सुलझ सकती है।