Alphabet's Taara: भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट सर्विस की शुरूआत, जानें ऑप्टिकल फाइबर से कैसे अलग- कितना किफायती?

गूगल की अल्फाबेट इंक कंपनी ने भारत में तारा लाइनें शुरू कर दी हैं। इससे शहरी और ग्रामीण इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट सर्विस की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। साथ ही यह किफायती और तेज भी होगा। गिरीश लिंगन्ना की रिपोर्ट।

Alphabet's Taara. गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट इंक ने स्ट्रैटोस्फेरिक बैलून्स के माध्यम से दुनिया के ग्रामीण और दूरदराज के हिस्सों तक इंटरनेट पहुंचाने का प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी। अब नई प्रोद्योगिकी आने के बाद कंपनी ने लाइट रेज के माध्यम से दूर-दराज तक इंटरनेट पहुंचाने की शुरूआत कर दी है। यह भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों के लिए भी शानदार कदम है। इससे भारत में ऑनलाइन एजुकेशन, बिजनेस और इंटरनेट से जुड़ी हर सर्विस को लाभ पहुंचने वाला है। अल्फाबेट की तारा लाइंस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये हाई-स्पीड कनेक्टिविटी बेहद किफायती दाम पर उपलब्ध कराता है।

इंटरनेट की डिमांड में सालाना 25 प्रतिशत बढ़ेगी

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इंटरनेट पहुंच बढ़ाने के लिए किफायती, भरोसेमंद और स्केलेबल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी। वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक में सालाना 25 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। फाइबर-ऑप्टिक केबल की मांग इस वृद्धि को बनाए रखेगी। यही वजह है कि फाइबर नेटवर्क को तैनात करना मुश्किल हो जाएगा। लाइनें बिछाने के लिए खुदाई करना समय के साथ महंगा भी साबित होगा। इसमें कई तरह की ज्योग्राफिकल बाधाएं भी आ सकती हैं जिसकी वजह से सभी इलाकों तक इसकी पहुंच लगभग असंभव है। इस वजह से वायरलेस आधारित तकनीक की मांग है, जो कि त्वरित गति से कम लागत में इंटरनेट की सर्विस प्रदन कर सके। मौजूदा समय में ज्यादातर प्रोद्योगिकियां स्पेक्ट्रम पर काम करती हैं लेकिन यह अकेले दुनिया में इंटरनेट डिमांड को पूरा नहीं कर सकता है।

हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड तक पहुंच बढ़ाना

तारा की प्रकाश किरण पर आधारित इंटरनेट तकनीक इस समय भारत, अफ्रीका और दुनिया के दूसरे हिस्सों में लगाई जा रही हैं। तारा लाइनें शहरों और गांवों तक हाई-स्पीड और कम लागत वाला विकल्प मुहैया करा रहा है। तारा के लिंक सेल टावरों और वाईफाई हॉटस्पॉट जैसे बिंदुओं के बीच अंतराल को पाटते है। यह हजारों व्यक्तियों को वेब के शैक्षिक, व्यावसायिक और संचार लाभों से जोड़ने की क्षमता रखते हैं। गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट ने जनवरी 2021 में प्रोजेक्ट लून को बंद कर दिया। यह वायरलेस इंटरनेट वितरित करने के लिए स्ट्रैटोस्फेरिक हीलियम गुब्बारों के उपयोग पर शोध करने वाला कार्यक्रम था लेकिन यह प्रयास विफल रहा। इसक बाद अल्फाबेट की मूनशॉट लैब एक्स ने प्रोजेक्ट तारा को डेवलप किया था।

भारत में तारा की सर्विस

गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट इंक ने तारा की शुरूआत की है। तारा, अल्फाबेट के एक्स की ही परियोजना है। तारा के मुखिया कृष्णास्वामी ने कहा कि इस बार स्थिति में सुधार हो रहा है। भारत में प्रमुख दूरसंचार और इंटरनेट आपूर्तिकर्ता, तारा और भारती एयरटेल के अधिकारियों ने घोषणा की है कि वे अब भारत में नई लेजर इंटरनेट तकनीक की बड़ी तैनाती की दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि कोई वित्तीय जानकारी सामने नहीं आई है। यह तकनीक उन स्थानों पर उपयोगी है जहां फाइबर कनेक्शन कनेक्ट करना मुश्किल है।

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