
India China Border: चीन से लगी सीमा के पास भारत तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत कर रहा है। रणनीतिक रूप से अहम जगहों तक जाने के लिए नई सड़कें बनाई जा रहीं है ताकि चीन की चालाकी नहीं चल सके। इसी क्रम में देपसांग और दौलत बेग ओल्डी (DBO) को जोड़ने वाली नई सड़क नवंबर 2026 से चालू हो जाएगी। यह सड़क नुब्रा घाटी में सासोमा से निकलती है। सासोमा लेह से सियाचिन बेस कैंप के मार्ग पर है।
नई सड़क मौजूदा दारबुक-श्योक-दौलेट बेग-ओल्डी (DSDBO) सड़क के लगभग समानांतर चलती है। यह सासोमा-सासेर ला-सासेर ब्रांग्सा-गपशान-डीबीओ के मार्ग को फोलॉ करती है। यह डीबीओ तक जाने वाली वैकल्पिक सड़क है। इसकी लंबाई लगभग 130 किलोमीटर है। इसपर 40 टन वजन उठाने की क्षमता वाले 9 पुल हैं।
सड़क निर्माण प्रोजेक्ट से वाकिफ सूत्रों ने एशियानेट न्यूजेबल इंग्लिश को बताया: "हमने सासोमा से सासेर ब्रांग्सा तक और उसके आगे पूर्व की ओर मुर्गो और गैपशान तक काम पूरा कर लिया है। हमें पूरा विश्वास है कि अगले साल अक्टूबर-नवंबर तक यह सड़क चालू हो जाएगी।"
सूत्रों ने बताया कि बोफोर्स सहित लगभग सभी तोपखाना हथियारों को इस सड़क से सासेर ब्रांग्सा तक ले जाकर इसके वजन उठाने की क्षमता टेस्ट की गई है। यह सड़क मुर्गो में दारबुक-श्योक-डीबीओ सड़क से मिल जाएगी। इससे लेह से डीबीओ की दूरी 79km कम हो जाएगी। DSDBO सड़क के जरिए लेह से डीबीओ की दूरी 322 किलोमीटर है। नई सड़क से यह 243 किलोमीटर रह जाएगी। इससे यात्रा का समय भी 2 दिन से घटकर 11-12 घंटे रह जाएगा।
सूत्रों ने बताया, "हम मौजूदा 40 टन क्षमता वाले पुलों को 70 टन क्षमता वाले पुलों में बदल रहे हैं। इनके पूरा हो जाने पर, सेना भारी वाहनों और अन्य बख्तरबंद वाहनों को तैनात कर सकेगी। इससे चुनौतीपूर्ण इलाकों में तेजी से सैनिकों को तैनात किया जा सकेगा।"
नई सड़क पर साल के 12 महीने वाहन चल सकें इसके लिए BRO (Border Road Organisation) 17,660 फीट की ऊंचाई पर सासेर ला में 8 किलोमीटर लंबी सुरंग बना रहा है। इसे तैयार होने में 4-5 साल लगेंगे। ससोमा से सासेर ब्रांग्सा तक, निर्माण कार्य बीआरओ के प्रोजेक्ट विजयक द्वारा देखा जा रहा है। इसकी लागत 300 करोड़ रुपए है। सासेर ब्रांग्सा से आगे डीबीओ तक, बीआरओ के प्रोजेक्ट हिमांक को सड़क और पुल बनाने का काम सौंपा गया है, जिसकी लागत 200 करोड़ रुपए है।
नई सड़क इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मौजूदा DSDBO सड़क कई स्थानों पर खतरे में पड़ सकती है। नई सड़क उप-क्षेत्र उत्तर (SSN) तक अतिरिक्त पहुंच प्रदान करती है। इसमें डीबीओ और देपसांग मैदान शामिल हैं। गौरतलब है कि गलवान घाटी उसी इलाके में स्थित है। यहां जून 2020 में चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। गलवान नदी घाटी क्षेत्र में चीनी निर्माण कार्य डीएसडीबीओ सड़क के लिए सीधा खतरा है।
डीबीओ में दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है। इसका निर्माण मूल रूप से 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान किया गया था, लेकिन 2008 तक इसे छोड़ दिया गया था। इसे भारतीय वायु सेना ने एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के रूप में पुनर्जीवित किया है।