सोशल मीडिया की तर्ज पर चैनलों को भी बनानी होगी शिकायतों के निराकरण की व्यवस्था, वर्ना बंद हो जाएगा टेलिकास्ट

केंद्र सरकार ने गुरुवार को केबल टेलिविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। यानी चैनलों को अपने कंटेंट्स को लेकर आईं शिकायतों/आपत्तियों को लेकर एक व्यवस्था बनानी होगी। शिकायतों का निराकरण नहीं होने पर चैनल के संबंधित कार्यक्रम या पूरे प्रसारण पर रोक लगाई जा सकेगी।
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 18, 2021 5:30 AM IST

नई दिल्ली. चैनलों के कार्यक्रमों से जुड़ीं उपभोक्ताओं की शिकायतों और आपत्तियों के समाधान की दिशा में केंद्र सरकार ने एक और पहल की है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को केबल टेलिविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन की अधिसूचना(notification) जारी की है। यानी चैनलों को अपने कंटेंट्स को लेकर आईं शिकायतों/आपत्तियों को लेकर एक वैधानिक व्यवस्था बनानी होगी। यानी यह ठीक उसी तरह की होगी, जैसी सोशल मीडिया के लिए तय की गई है। शिकायतों का निराकरण नहीं होने पर चैनल के संबंधित कार्यक्रम या पूरे प्रसारण पर रोक लगाई जा सकेगी।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने Tweet की अधिसूचना
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अधिसूचना Tweet की है। वर्तमान में नियमों के तहत कार्यक्रम/विज्ञापन संहिताओं के उल्लंघन से संबंधित नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक अंतर-मंत्रालय समिति के माध्यम से एक संस्थागत व्‍यवस्‍था है। इसी तरह विभिन्न प्रसारकों ने भी शिकायतों के समाधान के लिए अपने यहां आंतरिक स्व-नियामक व्‍यवस्‍था (internal self-regulatory system) कर रखी है।  हालांकि, शिकायत निवारण व्‍यवस्‍था को सुदृढ़ करने के लिए एक वैधानिक व्‍यवस्‍था बनाने की आवश्यकता महसूस की गई।  कुछ प्रसारकों ने अपने संबंधित संघों/निकायों को कानूनी मान्यता देने का भी अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने ‘कॉमन कॉज बनाम भारत संघ और अन्य’ के मामले में 2000 की डब्ल्यूपी (सी) संख्या 387 में अपने आदेश में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित शिकायत निवारण की मौजूदा व्‍यवस्‍था पर संतोष व्यक्त करते हुए शिकायत निवारण व्‍यवस्‍था को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए उचित नियम बनाने की सलाह दी थी।
इसी को ध्यान में रखते हुए केबल टेलीविजन नेटवर्क के नियमों में संशोधन किया गया है, ताकि इस वैधानिक व्‍यवस्‍था का मार्ग प्रशस्‍त हो सके जो पारदर्शी होगी और जिससे नागरिक लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही प्रसारकों के स्व-नियामक निकायों को केंद्र सरकार में पंजीकृत किया जाएगा।  

900 से अधिक चैनल हैं
वर्तमान में 900 से भी अधिक टेलीविजन चैनल हैं, जिन्हें सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा अनुमति दी गई है। इन सभी को केबल टेलीविजन नेटवर्क के नियमों का यानी कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता का पालन करना आवश्यक है। यह अधिसूचना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसने प्रसारकों और उनके स्व-नियामक निकायों पर जवाबदेही एवं जिम्मेदारी डालते हुए शिकायतों के निवारण के लिए एक मजबूत संस्थागत व्‍यवस्‍था को कहा गया है।

 

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