नागरिकता संशोधन बिल: गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा- गलत साबित हुआ तो ले लेंगे वापस

लोकसभा में दूसरी बार सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पेश किया गया। अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि यह विधेयक .001% भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं हर सवाल का जवाब दूंगा। लेकिन तब तक वॉकआउट मत कर जाना। 

नई दिल्ली. लोकसभा में दूसरी बार सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पेश किया गया। अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि यह विधेयक .001% भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं हर सवाल का जवाब दूंगा। लेकिन तब तक वॉकआउट मत कर जाना। कांग्रेस सहित 11 विपक्षी दल इस विधेयक के विरोध में हैं। अमित शाह ने बताया कि आखिर क्यों आज इस बिल की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आजादी के बाद देश का धर्म का आधार पर विभाजन किया। अमित शाह ने कहा कि मुसलमानों के साथ धर्म के आधार पर प्रताड़ना नहीं हो रही है, इसलिए उन्हें इस बिल से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा,"कांग्रेस के सदस्य साबित कर दें कि विधेयक भेदभाव करता है तो मैं विधेयक वापस ले लूंगा।"

"मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी इसी श्रेणी के हैं"

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लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। किसी के साथ अन्याय का सवाल नहीं है। 1947 में जितने भी शरणार्थी आए, सभी भारतीय संविधान द्वारा स्वीकार किए गए। शायद ही देश का कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थी नहीं बसते थे। मनमोहन सिंह से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक सभी इसी श्रेणी के हैं। उन्होंने कहा कि  गलत साबित हुआ तो वापस ले लेंगे बिल। 

 

बिल पेश करने को लेकर वोटिंग

लोकसभा में बिल पेश करने को लेकर वोटिंग हुई, जिसमें समर्थन में 293 और विरोध में 82 वोट पड़े।

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संसद में अमित शाह ने पक्ष में क्या कहा?

- उन्होंने कहा, "इन देशों के मुस्लिम सज्जन अगर भारत में नागरिकता का आवेदन करते हैं तो उन पर खुले मन से विचार होगा। लेकिन उन्हें धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर नागरिकता देने पर विचार नहीं किया जाएगा।" 

- "पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य का धर्म माना गया। वहां हिन्दू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध, पारसी लोगों पर अत्याचार और धार्मिक प्रताड़ना हुई।"

- "नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं हुआ है।" 

- मैं नॉर्थ ईस्ट के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस बिल से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। नॉर्थ ईस्ट की संस्कृति की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। हम मणिपुर की घाटी की समस्या का समाधान करेंगे। इस बिल से मणिपुर को इनर लाइन सिस्टम में लाएंगे। 

- कुछ लोग कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट मिलनी चाहिए। मैं पूछता हूं कि क्या बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए? पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए? 

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने क्या कहा?

- अंतरराष्ट्रीय संधि पर दस्तखत करने की वजह से हमारा कर्तव्य बनता है कि हमारे देश में आने वाले शरणार्थियों को मानवीय आधार पर बिना उनके धर्म या मजहब को देखे उनको शरण दें। 

- यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ है। यह विधेयक असंवैधानिक है और समानता के मूल अधिकार के खिलाफ है। 
 

संसद में विधेयक के विरोध में किसने क्या कहा?

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा, "धर्मनिरपेक्षता संविधान का बुनियाद है। देश को ऐसे कानून से बचा लीजिए, मुसलमान भी इसी देश का हिस्सा हैं।" हालांकि ओवैसी के बयान को रिकॉर्ड से हटा दिया गया।

- टीएमसी सांसद सौगत रॉय (Saugata Roy) ने कहा, "यह विधेयक विभाजनकारी और असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। यह कानून डॉक्टर अंबेडकर सहित संविधान के खिलाफ है।"

- रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एन के प्रेमचंद्रन (N. K. Premachandran) ने कहा, "विधेयक, संविधान की मूल संरचनात्मक ढांचे का उल्लंघन करता है, क्योंकि धर्म पर आधारित नागरिकता का अधिकार देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के खिलाफ है।"

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक?
नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है। इस विधेयक में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के 6 अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से जुड़ा है। इसके मुताबिक इन 3 देशों से आने वाले शरणार्थी अगर 6 (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) धर्मों के हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। 

समयावधि 11 से घटाकर 6 साल की गई
संशोधित विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की समयावधि घटाकर 11 साल से 6 साल की गई है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता के लिए पात्र होंगे। 

क्या है विरोध की बड़ी वजह
इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।

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