नागरिकता संशोधन बिलः 10 बातों में समझिए क्या क्या होंगे बदलाव

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून को किया गया। इस बिल के तहत देश में आए शरणार्थियों को मिलने वाली नागरिकता को लेकर नियम पूरी तरह से बदल जाएंगे। केंद्र सरकार के इस निर्णय का कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दल विरोध कर रहे है।
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 9, 2019 6:32 AM IST / Updated: Dec 09 2019, 02:58 PM IST

नई दिल्ली. तीन तलाक और धारा 370 पर निर्णय लेने के बाद केंद्र की मोदी सरकार अब  NRC को लेकर एक बड़ा दांव चलने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून को पेश किया। इस बिल के तहत देश में आए शरणार्थियों को मिलने वाली नागरिकता को लेकर नियम पूरी तरह से बदल जाएंगे। केंद्र सरकार के इस निर्णय का कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दल विरोध कर रहे है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भी विरोध तेज हो गया है। लोकसभा में दूसरी बार नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक .001% भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं हर सवाल का जवाब दूंगा।

बिल से जुड़ी 10 बड़ी बातें 

केंद्र सरकार के इस कानून का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं और इसे भारत के मूल नियमों के खिलाफ बता रही हैं। इस बिल में क्या विवादित है, पहले क्या था और अब क्या होने जा रहा है। जानें बिल से जुड़ी 10 बड़ी बातें...

1. मोदी सरकार नागरिकता को लेकर जो नया बिल ला रही है, उसे सिटिजन अमेंडमेंट बिल, 2019 नाम दिया गया है। इस बिल के आने से सिटिजन एक्ट, 1955 में संसोधन किया जाएगा। 

2. केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जा रहे CAB में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की तैयारी है। 

3. इस बिल के पेश होने के बाद इन सभी शरणार्थियों को भारत में अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा। मौजूदा कानून के तहत भारत में अवैध तरीके से आए लोगों को उनके देश वापस भेजने या फिर हिरासत में लेने की बात है। जो इस कानून के बनने के बाद समाप्त हो जाएगा। 

4. पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के इनर लाइन परमिट एरिया को इस बिल से बाहर रखा गया है। इसके अलावा ये बिल नॉर्थ ईस्ट के छठे शेड्यूल का भी बचाव करता है।

5. नए कानून के मुताबिक, अफगानिस्तान-बांग्लादेश-पाकिस्तान से आया हुआ कोई भी हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई नागरिक जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में आया हो उसे अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा। 

6. इनमें से जो भी नागरिक OCI होल्डर है, अगर उसने किसी कानून का उल्लंघन किया है तो उसको एक बार उसकी बात रखने का मौका दिया जाएगा। इस बिल में यह संसोधन शरणार्थियों के लिए बड़ी राहत देगी ।

7. मोदी सरकार के नए कानून में इन सभी शरणार्थियों को भारत में अब नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 साल का वक्त बिताना होगा। पहले ये समय सीमा 11 साल के लिए थी। 

8. नागरिकता संसोधन बिल 2019 का कांग्रेस समेत 11 दल विरोध कर रहे हैं और भारत के संविधान का उल्लंघन बता रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार जो बिल ला रही है, वह देश में धर्म के आधार पर बंटवारा करेगा जो समानता के अधिकार के खिलाफ है।

9. पूर्वोत्तर के राज्यों में मोदी सरकार के इस बिल का सर्वाधिक विरोध किया जा रहा है। पूर्वोत्तर के लोगों का मानना है कि बांग्लादेश से अधिकतर हिंदू आकर असम, अरुणाचल, मणिपुर जैसे राज्यों में बसते हैं ऐसे में ये पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ठीक नहीं रहेगा। पूर्वोत्तर में कई छात्र संगठन, राजनीतिक दल इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हैं। 

10. एनडीए में भारतीय जनता पार्टी की साथी असम गण परिषद ने भी इस बिल का विरोध किया है, बिल के लोकसभा में आने पर वह गठबंधन से अलग हो गई थी। हालांकि, कार्यकाल खत्म होने पर जब बिल खत्म हुआ तो वह वापस भी आई। 
 

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