
बेंगलुरु.थल सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे(Chief of Army Staff General MM Naravane) ने बेंगलुरू स्थित पैराशूट रेजिमेंट प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित एक प्रभावशाली ध्वज प्रस्तुति परेड के दौरान पैराशूट रेजिमेंट की चार बटालियनों को प्रतिष्ठित 'राष्ट्रपति ध्वज' प्रदान किए। इन बटालियनों में 11 पैराशूट (विशेष बल), 21 पैराशूट (विशेष बल), 23 पैराशूट और 29 पैराशूट हैं।
स्वतंत्रता के पहले से सक्रिय है
पैराशूट रेजिमेंट भारतीय सेना की एक विशिष्ट रेजिमेंट है। यह स्वतंत्रता के पहले और बाद के अभियानों में अपना एक उल्लेखनीय रिकॉर्ड रखती है। इस रेजिमेंट को गाजा, कोरिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, कच्छ के रण, सियाचिन, राजस्थान, पंजाब व जम्मू और कश्मीर जैसे विविध युद्ध क्षेत्रों व मणिपुर, नगालैंड और असम सहित पूर्वी युद्ध क्षेत्र में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आजादी के बाद पैराशूट रेजिमेंट की बटालियनों ने प्रभावशाली 32 सेना अध्यक्ष बटालियन प्रशस्ति पत्र प्राप्त किए हैं। वहीं, इसके जवानों को वीरता व असाधारण बहादुरी के लिए 8 अशोक चक्र, 14 महावीर चक्र, 22 कीर्ति चक्र, 63 वीर चक्र, 116 शौर्य चक्र और 601 सेना पदक से सम्मानित किया गया है।
वीरता और बलिदान की सराहना
सेना प्रमुख ने परेड की समीक्षा के बाद पैराशूट रेजिमेंट की वीरता, बलिदान और परंपराओं की समृद्ध विरासत की सराहना की। वहीं, सेना प्रमुख ने कम समय में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए नई गठित की गई बटालियनों की भी सराहना की और गर्व के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए सभी सैनिकों को शुभकामनाएं दीं।
पहली बार बहुराष्ट्रीय युद्ध अभ्यास में दम दिखाएगा Tejas
पहली बार भारत का घरेलू हल्का लड़ाकू विमान तेजस (Tejas) ब्रिटेन के वाडिंगटन में एक बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास 'कोबरा वारियर' (Cobra Warrior) में भाग लेगा। यह 6 मार्च से शुरू होने वाला है। अब तक एलसीए तेजस कई एयर शो में भाग लेता रहा है। यह पहली बार होगा जब पांच एलसीए तेजस आगामी बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास में अपनी युद्ध क्षमता का प्रदर्शन करेंगे। तेजस अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, सऊदी अरब, इजराइल और बेल्जियम के लड़ाकू विमानों के साथ युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेगा। इस दौरान तेजस का मुकाबला अमेरिका और ब्रिटेन की वायु सेना में शामिल ताकतवर लड़ाकू विमानों से होगा। इस युद्ध अभ्यास में कई देशों से युद्ध कौशल सीखने का मौका मिलेगा। युद्ध अभ्यास 27 मार्च तक चलेगा। इसमें शामिल सभी देश अपनी युद्ध क्षमता बढ़ाने और दोस्ती के बंधन बनाने के लिए आपस में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करेंगे।
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