नहीं बची थी कोई उम्मीद, सभी अस्पतालों ने कर दिया था मना; सेना की मदद से बचीं 3 जिंदगियां

जम्मू में 166 मिलिट्री हॉस्पिटल ने 50 साल की एक महिला की जटिल गर्भावस्था को सफलतापूर्वक संभाला और मां एवं उसके जुड़वा बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जच्चा-बच्चा, दोनों खतरे से बाहर हैं और उन्हें चिकित्सीय निगरानी में रखा गया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 12, 2020 2:22 PM IST

जम्मू. जम्मू में 166 मिलिट्री हॉस्पिटल ने 50 साल की एक महिला की जटिल गर्भावस्था को सफलतापूर्वक संभाला और मां एवं उसके जुड़वा बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जच्चा-बच्चा, दोनों खतरे से बाहर हैं और उन्हें चिकित्सीय निगरानी में रखा गया है।

अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर देवेंद्र अरोड़ा ने कहा कि यह इस अस्पताल का बेहद चुनौतीपूर्ण मामला था जहां संसाधन सीमित थे।

शादी के 30 साल बाद हुआ बच्चा
उन्होंने बताया कि एक पूर्व सैनिक की पत्नी ने शादी के 30 साल बाद आईवीएफ के जरिए गर्भधारण किया था और यह दंपति इस अस्पताल में तब आया जब जम्मू के सभी अस्पतालों ने गर्भावस्था की जटिलताओं के चलते महिला को भर्ती करने से मना कर दिया था।

ब्रिगेडियर अरोड़ा ने कहा, “166 मिलिट्री हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञों की टीम ने इस दुर्लभ मामले से निपटने की चुनौती स्वीकार की। कौर के गर्भ में जुड़वा बच्चे थे और महिला की उम्र के चलते उन्हें हाइपोथाइरॉइडिज्म, गेसटेशनल डाइबिटीज मेलिटस और गर्भावस्था के कारण रक्तचाप बढ़ने जैसी बीमारियां थीं।”

उन्होंने बताया कि महिला का अस्पताल में इलाज चल रहा था और उनकी करीब से निगरानी की जा रही थी।

'मां और बच्चे की जान खतरे में थी'
10 जनवरी की रात, महिला को अत्यधिक रक्तचाप बढ़ने के साथ ही प्लेटलेट घटने की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया। गर्भावस्था के आठवे महीने में उसे रक्तस्राव होने लगा था। अधिकारी ने कहा कि दंपति बहुत परेशान था क्योंकि माता-पिता बनने की उनकी आखिरी आस, मां के स्वास्थ्य को तमाम तरह के जोखिम होने और उनके दोनों बच्चों का जीवन खतरे में था।

लेकिन स्री रोग विशेषज्ञों ने स्थिति पर नियंत्रण पाकर दंपति की काउंसलिंग की। शनिवार को सी-सेक्शन के जरिए महिला को जुड़वा बच्चे - एक बेटा और एक बेटी- हुए।

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