जम्मू में स्टेज पर डांस करते-करते डांसर की मौत हो गई। गणेश उत्सव कार्यक्रम में योगेश गुप्ता नाम का 20 साल का युवक मां पार्वती के बनकर डांस कर रहा था तभी उसे दिल का दौरा पड़ गया।
जम्मू। जम्मू में गणेश उत्सव कार्यक्रम पर आयोजित एक स्टेज शो के दौरान डांसर की मौत हो गई। मृतक युवक योगेश गुप्ता की उम्र 20 साल थी। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। योगेश मंगलवार की रात बिश्नाह तहसील के कोठा सोनिया गांव में एक रात्री जागरण में भगवान शिव के नृत्य-सह-संगीत ओपेरा में प्रस्तुति दे रहे थे।
योगेश मां पार्वती का रूप धरकर परफॉर्म कर रहे थे। ऊँ नम: शिवाय भजन पर डांस के दौरान वह स्टेज पर गिर गए। लोगों ने समझा कि यह डांस का हिस्सा है। अच्छी अदाकारी समझ लोग ताली बजाने लगे। दूसरी ओर योगेश को दिल का दौरा पड़ा था। वह स्टेज पर चंद सेकंड के लिए तड़पे फिर शांत हो गए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
जम्मू में डांस के दौरान डांसर की मौत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में दिख रहा है कि योगेश डांस करते-करते लड़खड़ाते हैं और स्टेज पर गिर जाते हैं। इसके बाद वह खुद को संभालते हैं और डांस जारी रखने की कोशिश करते हैं। वह एक-दो स्टेप ही करते हैं तभी फिर से गिर जाते हैं। उनके हाथ और पैरों में हलचल होती है। लोग इसे डांस का हिस्सा समझते हैं, लेकिन चंद सेकंड में उनका शरीर शांत पड़ जाता है। योगेश को अचेत देख साथी कलाकार पास पहुंचे और संभालने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
युवा भारतीयों को दिल की बीमारी का अधिक खतरा
दिल की बीमारी या कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) का सबसे ज्यादा खतरा भारतीय युवाओं पर मंडरा रहा है। हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण हार्ट की मांसपेशियों की ब्लड सप्लाई में रुकावट होती है, जिसकी वजह से सीएडी होता है। लंबे वक्त तक यह माना जाता था कि यह बीमारी बुजुर्गों में होती है। लेकिन हाल में जिस तरह के केसेज सामने आए हैं वो परेशान करने वाली है। हाल ही में बॉलीवुड गायक कृष्णकुमार कुन्नाथ, अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला ,पुनीत राजकुमार और सोनाली फोगाट की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गई। ये सभी युवा सितारे हैं।
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हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ चौंकाने वाले रिपोर्ट पेश किए। उन्होंने बताया कि भारतीयों में सीएडी (CAD) की दर किसी भी अन्य जातीय समूह की तुलना में 50-400% अधिक है। जबकि पश्चिम में सीएडी का प्रसार पिछले तीन दशकों में आधा हो गया है। जबकि भारत में यह दोगुनी हो गई है और इसमें कमी को कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। भारतीयों में पहली बार दिल का दौरा पड़ने की औसत उम्र में 20 साल की कमी आई है। यह एक तथ्य है जिसने हाईप्रोफाइल लोगों की मौत से उजागर हुआ है।
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